Spiritual Empowerment Program For Administrators By Brahma Kumaris Lucknow

Lucknow( Uttar Pradesh ): The Brahma Kumaris of Gomtinagar held a program for administrators at Visakha Auditorium of Nagar Vikas. The theme of this program was ‘Spiritual Empowerment For Excellence And Commitment In Administration‘. R. K. Tiwari, Chairman,  UPSRTC, Ranjan Kumar, Divisional Commissioner Lukhnow, Dr. Rajneesh Dube, Additional Chief Secretary,  Government of UP, Anil Kumar, MD Jal Nigam, Jitendra Kumar, Principal Secretary UP Government,  Prof. Himanshu Rai, Director IIM Indore, BK Asha, Head of Administrative Wing of RERF, were present on this occasion.

Rajyogini BK Radha gave the inaugural speech. She said that an administrator is a ‘Beloved Ruler’. One who cannot rule over his own self can never rule over others. She apprised the audience about the aim of this campaign,  saying that the Brahma Kumaris have decided to hold programs in every district,  where lectures on the topic ‘Positive Thinking With Rajyoga‘ will be given by the representatives of Brahma Kumaris and training of Rajyoga will also be given.

Rajyogini BK Asha, Director ORC Gurugram and Head of Administration Wing of RERF,  Chief Speaker,  said that negative tendencies are not acceptable at a deeper level to anyone.  Talking about kindness and compassion through spirituality,  she said that the power of money and punishment,  becomes a curse for the common man. For empowering the common man, administration must have kindness and compassion.

Children of Sangeet Natak Academy of UP gave beautiful dance performances.

Rajneesh Dube, while talking about social commitment, said that today people have many options and diversions, that increase their worries.  A man’s life is defined by his values.  He said that Brahma Kumaris taught people kindness and cooperation to tide over the Covid crisis.

Prof. Himanshu Rai talked about the need to separate need from indulgence.  BK Sitaram Meena, IAS, shared his experience with Rajyoga for the past 22 years.

BK Swarnalata held a Rajyoga session at the conclusion of this session.  BK Veena from Karnataka coordinated this program.

News in Hindi:

ब्रह्मकुमारीज गोमतीनगर की ओर से प्रशासकों के लिए ‘प्रशासन में उत्कृष्टता एवं प्रतिबद्धता की संस्कृति’ के लिए आध्यात्मिकता सशक्तिकरण पर एक अभियान का भव्य शुभारंभ, नगर विकास के नवनिर्मित ट्रेनिंग ऑडिटोरियम “विशाखा” में किया गया जिसमें  श्री आर.के.तिवारी, चेयरमैन UPSRTC, श्री रंजन कुमार, संभागीय आयुक्त, लखनऊ; डॉ. रजनीश दुबे, अतिरिक्त मुख्य सचिव, उ०प्र० सरकार; प्रो. हिमांशु राय निदेशक, आईआईएम,इंदौर; श्री अनिल कुमार, एम ०डी०, जलनिगम; श्री जितेंद्र कुमार, प्रमुख सचिव, उ०प्र० सरकार एवं ब्रह्माकुमारीज की प्रशासनिक प्रभाग की अध्यक्षा बी के आशा दीदी जी उपस्थित रहीं.

कार्यक्रम की शुरुआत राजयोगिनी राधा दीदी के स्वागत संभाषण में प्रशासक को एक  प्रिय शासक बताया.जो स्वयं के ऊपर शासन कर सकता है वही दूसरों को प्रशासित कर सकता है.उन्होंने  इस अभियान की जानकारी देते हुए बताया कि ब्रह्माकुमारीज के प्रशासक सेवा प्रभाग द्वारा उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में एक कार्यक्रम का आयोजन करना सुनिश्चित किया गया है। राजयोग के द्वारा सकारात्मक सोच विषय पर ब्रह्माकुमारी वक्‍ता द्वारा जाकर व्याख्यान दिया जायेगा एवं राजयोग का अभ्यास कराया जाएगा। उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में दिनांक 13 से 18 जून 2022 के मध्य जिलाथिकारी कार्यालय में सम्बन्धित जिलाधिकारी एवं अन्य अधिकारीगणों की उपस्थिति प्रार्थनीय है।

दीप प्रजवल्लन के बाद कार्यक्रम की मुख्य वक्ता, दिल्ली से आई, बी के आशा दीदी ने कहा कि कोई भी व्यक्ति दुर्गुणों को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं करता है. दया और करुणा के साथ अध्यात्म को जोड़ते हुए उन्होंने बताया कि ब्रह्मकुमारीज में समाज के विभिन्न वर्गों एवं बैकग्राउंड के लोग एक परिवार के समान रहते हैं. आज इस अंतरराष्ट्रीय परिवार के सुशासन की आधारशिला, स्व के ऊपर शासन की महिमा बताई. संस्कृति संस्कारों से और संस्कार कर्म से और कर्म सोच से बनते हैं. राजयोग के माध्यम से हम अपने विचारों का संवर्धन कर सकते हैं. उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस लाखों लोगों को परिवार में, कोई भी व्यक्ति किसी को कोई निर्देश  नहीं देता है, लेकिन आपसी प्रेम और सहयोग की भावना के कारण स्व-शासित रहते हैं. यदि प्रशासक, निमित्त एवं ट्रस्टी के भाव के साथ प्रशासन करता है तो बिना किसी तनाव के सुशासन स्वयं स्थापित हो जाता है. राजयोग के माध्यम से हमारी दक्षता एवं अंतर्ज्ञान की क्षमता भी बढ़ जाती है.योग मन को शांत रखता है जिससे हम विपरीत परिस्थिती में भी सही निर्णय  ले पाते हैं. हम अपनी असफलताओं का सहज स्वीकार करते हुए , अपनी गलतियों से सबक लेते हुए, सतत अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं. जो झुकता है उसके अंदर जान होती है, अकड़े रहना मुर्दा होने की पहचान होती है.

मुख्य अतिथि श्री आर के तिवारी जी प्रशासन में आध्यात्मिक सशक्तिकरण पर जोर देते हुए कहा कि धन एवं दंड देने की सशक्ता, आम आदमी के लिए दुःख का कारण बनता है. सशक्तिकरण सामान्य जन का भी होना चाहिए और उसके लिए दया एवं करुणा का उपयोग प्रशासन में होना जरूरी है.

श्री रजनीश दुबे जी ने सामाजिक प्रतिबद्धता के बारे में बोलते हुए कहा कि आज व्यक्ति के पास जीवन में अत्यधिक विकल्प होने के कारण ही वह परेशान रहता है. व्यक्ति की पहचान वह किन विकल्पों को अस्वीकार करता है, उससे होती है. उसके मूल्य उसके जीवन को परिभाषित करते हैं. समत्व योग अर्थात सर्व के प्रति समान भाव की विशेषता गिनाई. करोन काल के अनुभवों को शेयर करते हुए बताया उस समय सहयोग एवं समभाव तथा ब्रह्माकुमारियों के इन मूल्यों के सशक्तिकरण से ही हम इस विकट परिस्थितियों को बहुत ही विशेष तरीके से सामना करने में सक्षम हो सके.

तत्पश्चात यू पी संगीत नाटक अकादमी के बच्चों ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत कर, बड़ी संख्या भाग लेने के लिए पूरे प्रदेश से आए उपस्थित सरकारी एवं निजी प्रशासनिक अधिकारियों की वाहवाही लूटी.

प्रोफसर हिमांशु राय ने आवश्यकता और इच्छाओं के बीच में अंतर को महसूस करने की आवश्यकता को बताते हुए कहा कि हमारे पास जो है, वह हमारी आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त है लेकिन इच्छाओं के लिए कितना भी पर्याप्त नहीं होता है. ब्रह्माकुमार सीताराम मीणा, आईएएस ने अपना राजयोग का 22 वर्षों का अनुभव सबके साथ साझा किया.

कार्यक्रम का समापन, राजयोगिनी बी के स्वर्णलता द्वारा योग की गहन अनुभूति का अनुभव कराके हुआ. कार्यक्रम का सफल संचालन कर्नाटक से आई, बी० के० वीणा दीदी ने किया.

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