Session on “Moral Values” in Morshi

Morshi (Maharashtra) : “The primary objective of education is to build character, to lead from falsehood to truth, and from bondage to freedom. However, today’s education is moving towards materialism. Physical education leads to physicality, while moral education builds character. Therefore, in the present time, along with empirical education, children also need moral education.” These words were spoken by BK Bhagwan from Mount Abu, Rajasthan. He was speaking on the importance of moral education in a one-day program for children at the local Brahma Kumaris service center.

BK Bhagwan said that students should emphasize evaluation, behavior, imitation, writing, practical knowledge, and so on. The lack of values in present-day society is the root cause of every problem. Education is a seed, and life is a tree. Until the fruits of virtues do not come in our tree-like life, our education is incomplete.

BK Pari said that moral education makes a human ‘humane’ because it is on the strength of moral qualities that a person becomes respectable. Tuition teacher Sunita also said in her opening remarks that student empowerment can only come through moral education.

BK Sita, the coordinator of the Amravati Brahma Kumaris Rajayoga service center, said that until there is spirituality in life, there is no morality in life.

The program began with a welcome note and ended with a meditation session in Rajyoga, conducted by BK Bhagwan, to enhance concentration of mind.

Anmolak , the lecturer at the college, also gave his opening remarks and sang a song.

News In Hindi:

नैतिक शिक्षा से ही होगा सर्वागिंण विकास-भगवान भाई

मोर्शी (महाराष्ट्र) : शिक्षा का मूल उद्देश्य हैं चरित्र का निर्माण करना, असत्य से सत्य की ओर ले जाना, बंधन से मुक्ति की ओर जाना लेकिन आज की शिक्षा भौतिकता की ओर ले जा रही है | भौतिक शिक्षा से भौतिकता की प्राप्ति होती है और नैतिक शिक्षा से चरित्र बनता है | इसलिए वर्तमान के समय प्रमाण भौतिक शिक्षा के साथ साथ बच्चो को नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है । उक्त उदगार माउंट आबू राजस्थान से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे| वे स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र में एक दिवसीय बच्चो के कार्यक्रम में जीवन में नैतिक शिक्षा का महत्व विषय पर बोल रहे थे |

भगवान भाई ने कहा कि विद्यार्थियों को मुल्यांकन,आचरण,अनुकरण,लेखन,व्यवहारिक ज्ञान इत्यादि पर जोर देना होगा। वर्तमान के समाज में मूल्यों की कमी हर समस्या का मूल कारण हैं। परीक्षा के समय अपनी सकारात्मक सोच रखे | परीक्षा का डर मन से निकालिए |समय का सदुपयोग करे |अपना हैण्ड रायटिंग अच्छा और स्पष्ट लिखे |किसी का कापी राइट ना करे आत्मविश्वास से लिखे उन्होंने बताया कि परोपकार,सेवाभाव,त्याग,उदारता,पवित्रता,सहनशीलता,नम्रता,धैर्यता,सत्यता,ईमानदारी, आदि सद्गुण नहीं आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी हैं । शिक्षा एक बीज है और जीवन एक वृक्ष है जब तक हमारे जीवन रूपी वृक्ष में गुण रूपी फल नहीं आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है | समाज अमूर्त होता हैं और प्रेम,सद्भावना,भातृत्व,नैतिकता एवं मानवीय सद्गुणों से सचालित होता हैं।

उन्होंने कहा कि भौतिक शिक्षा से भौतिकता का विकास होगा और नैतिक शिक्षा से सर्वागिंण विकास होगा | नैतिक शिक्षा से ही हम अपने व्यक्तित्व का निर्माण करते है जो आगे चलकर कठिन परिस्थितियों का सामना करने का आत्मविवेक व आत्मबल प्रदान करता है । उन्होंने कहा की नैतिकता के अंग हैं – सच बोलना, चोरी न करना,अहिंसा, दूसरों के प्रति उदारता, शिष्टता, विनम्रता, सुशीलता आदि। नैतिक शिक्षा के अभाव के कारण ही आज जगत में अनुशासनहीनता, अपराध ,नशा-व्यसन, क्रोध,झगड़े आपसी मन मुटाव बढ़ता जा रहा है।

स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र की संचालिका बी के पारी बहन जी ने कहा की नैतिक शिक्षा ही मानव को ‘मानव’ बनाती है क्योंकि नैतिक गुणों के बल पर ही मनुष्य वंदनीय बनता है। सारी दुनिया में नैतिकता अर्थात सच्चरित्रता के बल पर ही धन-दौलत, सुख और वैभव की नींव खड़ी है।

ट्यूशन टीचर सुनीता जी ने भी अपना उद्बोधन देते हुए कहा की नैतिक शिक्षा से ही छात्र-छात्राओं में सशक्तिकरण आ सकता है। उन्होंने आगे बताया कि नैतिकता के बिना जीवन अंधकार में हैं। नैतिक मूल्यों की कमी के कारण अज्ञानता, सामाजिक, कुरीतियां व्यसन, नशा, व्यभिचार आदि के कारण समाज पतन की ओर जाता है

अमरावती ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेंद्र की संचालिका बी.के सीता बहन जी कहा कि जब तक जीवन में आध्यात्मिकता नही है तब तक जीवन में नैतिकता नही आती है आध्यात्मिकता की परिभाषा बताते हुए उन्होंने कहा की स्वयं को जानना .पिता परमात्मा को जानना और उसको याद करना ही आध्यात्मिकता है जिसको राजयोग कहते है |राजयोग को अपनी दिनचर्या का अंग बनाने की अपील किया

कार्यक्रम की शुरुवात स्वागत से की गयी और अंत में बी के भगवान भाई जी ने मन की एकाग्रता बढाने हेतु राजयोग मेंडिटेशन भी कराया l कालेज के व्याख्याता बी के अनमोलक भाई जी ने भी अपना उदबोधन देते गीत गाया | कार्यक्रम में माता पिता कुछ , शिक्षक भी उपस्थित थे |

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