Punjab Governor Banwarilal Purohit Appreciates the Tireless Services of Brahma Kumaris To Humanity

Chandigarh ( Punjab ): The Brahma Kumaris of Chandigarh held the First Remembrance Day program for BK Amir Chand, Former Director of the Punjab Zone of Brahma Kumaris, at Tagore Theater. The theme of the conference was “Spirituality for Social transformation” in which Banwarilal Purohit, Honorable Governor of Punjab, was the Chief Guest.  Justice Daya Chaudhary, President of Punjab State Consumer Disputes Redressal Commission, PSCDRC; BK Asha, Director of Om Shanti Retreat Center, Gurgaon;  BK Prem of Gulbarga; BK Prem, Director of Punjab and Chandigarh Zone of Brahma Kumaris, and BK Uttara were present on the stage at this program.  BK Jaigopal Luthra paid a melodious musical tribute to BK Amir Chand.

BK Asha, Director of Om Shanti Retreat Center, Gurgaon (Delhi area), in her tribute appreciated the services of BK Amir Chand. She said that there are two aspects to life. One is standard of life, another is quality of life. Today, we have progressed in the first, but we are faring very poorly in the second.  Brahma Kumaris are working to build a solid new foundation of society based on good values.  We need to learn how to see each other based on soul consciousness instead of economic or physical parameters.  BK Amir Chand’s life is an example of sincere Godly services with full dedication.

Honorable Governor Banwarilal Purohit, in his address said that Brahma Kumaris Organization is the root of the tree of religion,  whose tireless activities for humanity have kept alive Indian culture. He said that he is aware of their work. Today’s grand program testifies to the fact that our culture is based on religion, hence no one can destroy it. He quoted Swami Vivekananda’s life and work to inspire the audience.  Appreciating Brahma Kumaris, he said, where else can we find company better than the good company of Brahma Kumaris.  If we keep faith in God, have a simple life, keep good company and right vision for our deeds, transformation becomes a possibility.  He urged the Brahma Kumaris to increase their services, as not only this Nation,  but the entire world needs them. Full co-operation will be received from Brahma Kumaris in making Bharat the World Teacher.

Justice Daya Chaudhary, BK Prem and BK Uttara also remembered and appreciated the services of BK Amir Chand. Everyone agreed that the path of service of humanity shown by BK Amir Chand must be followed by everyone.

BK Amir Chand, Former Director of the Punjab Zone of Brahma Kumaris, left his mortal coil on 28th November, 2020. He came in contact with the Brahma Kumaris sisters when he was only 19 years old. In 1982, impressed by their pure lifestyle, he left his elite job with the Government of Haryana, and dedicated himself fully to Godly services.  He worked tirelessly for more than 60 years and rendered exemplary services in India and abroad.  Chandigarh,  Punjab, Himachal,  Haryana and Uttarakhand were the main areas of his work, where the Organization has around 400 service centers.

News in Hindi:

राजयोगी भ्राता अमीर चन्द जी की प्रथम पुण्यतिथि पर 28 नवम्बर को टैगोर थिएटर, चंडीगढ़ में आध्यात्मिकता द्वारा सामाजिक परिवर्तन विषय पर कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया जिसमें पंजाब के राज्यपाल महामहिम श्री बनवारीलाल पुरोहित जी ने मुख्य अतिथि के रूप में,  जस्टिस दया चौधरी, राजयोगिनी आशा दीदी -ORC, राजयोगी ब्रह्मा कुमार प्रेम भाई (गुलबर्गा), डॉक्टर प्रताप भाई -ग्लोबल हॉस्पिटल ने शिरकत दी।

जीवन स्तर ही नहींजीवन में गुणवत्ता भी चाहिए – आशा दीदी

आध्यात्मिकता द्वारा सामाजिक परिवर्तन

चंडीगढ़ के टैगोर थिएटर में ब्रह्माकुमारीज़ संस्था द्वारा संस्था के पंजाब ज़ोन के भूतपूर्व डायरेक्टर राजयोगी भ्राता अमीर चंद जी की  प्रथम पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम रखा गया जिसमें पंजाब के महामहिम श्री बनवारीलाल पुरोहित जी ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उनके अलावा आमंत्रित मेहमानों में Justice Daya Chaudhary- President of Punjab State Consumer Disputes Redressal Commission (PSCDRC) , Om Shanti Retreat Centre से राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी आशा दीदी जी, गुलबर्गा से राजयोगी बी के प्रेम भाई, पंजाब और चंडीगढ़ ज़ोन की डायरेक्टर राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी प्रेम दीदी जी और राजयोगिनी ब्रह्मकुमारी उत्तरा दीदी जी मंच पर मौजूद रहे। मंच का सञ्चालन राजयोगी बी के डॉक्टर प्रताप मिड्ढा भाई ने किया।  बी के जयगोपाल लूथरा भाई ने अपने मधुर स्वर में एक भावभीने गीत से भ्राता जी को श्रद्धांजलि दी।

सबसे पहले आशा दीदी ने भ्राता जी को याद करते हुए उनके द्वारा की गयी सेवा की सराहना की। आशा दीदी ने कहा कि दो प्रकार का जीवन होता है । एक होता है standard of life और दूसरा होता है quality of life. आज हम standard of life में तो आगे बढ़ गए हैं परन्तु quality of life हमारी दिनों दिन गिरती जा रही है। व्यक्ति के चारित्रिक, मानवीय, सामाजिक मूल्यों में दिनों दिन गिरावट हुई है । अगर किसी बिल्डिंग की फ़ाउण्डेशन जड़जढ़िभूत हो जाए तो वो बिल्डिंग गिर जाती है । चाहे कितना भी सहयोग दिया जाए पर वो बिल्डिंग नष्ट होगी ही होगी क्यूंकि फ़ाउण्डेशन  ही नहीं है । ठीक इसी रीति से हमारे समाज के फ़ाउण्डेशन नैतिक मूल्य, मानवीय मूल्य खत्म होते जा रहे हैं । ये मूल्य समाज में पुनः आयें कैसे ? और ये समाज जो आज कलयुग के अंतिम चरण पर है । प्रजापिता ब्रह्माकुमारिज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय ये विश्वास करता है कि वह स्वर्णिम सुबह जरूर आएगी परंतु उसमे हम सबका सहयोग चाहिए।  कलयुग रात के बाद सतयुगी प्रभात अवश्य आएगी। भारत देश देवी देवताओं का देश है। परिवर्तन एक व्यक्ति से नहीं। लेकिन उस परिवर्तन में जब एक को सहयोग देने वाले अनेक हो जाते हैं तो वह परिवर्तन धीरे धीरे दिखना शुरू होता है और उस परिवर्तन के प्रभाव से धीरे धीरे सारा समाज परिवर्तित होता है।

उन्होंने कहा की हमें परमात्मा की संतान होने के नाते से अपने और दूसरे को आत्मिक स्थिति में देखना होगा केवल लौकिक या भौतिक नहीं। देह अभिमान पाप का मूल है और आत्मिक स्थिति पुण्य का मूल है। समाज और कुछ नहीं, व्यक्तियों का जोड़ है। अपने में परिवर्तन के बाद ही हम समाज में परिवर्तन ला सकते हैं और उसके लिए समय देना पड़ता है। भ्राता अमीर चंद जी के माध्यम से हमारे लिए यही सन्देश है कि तन मन धन समय और संकल्प से सेवा द्वारा ही परिवर्तन संभव है जिसकी मिसाल भ्राता जी का पूरा जीवन है। कुछ ऐसे विचार बी के प्रेम भाई ने रखे।

महामहिम श्री बनवारीलाल पुरोहित जी ने ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय को धर्म रुपी वृक्ष कि जड़ बताया जिनकी मानवता के प्रति अथक सेवाओं ने भारतीय संस्कृति को बचाये रखने और उसको आगे बढ़ानेके लिए सार्थक सहयोग दिया है। उन्होंने कहा कि मैं इस संस्था कि सेवाओं से अभिभूत हूँ और आज का यह गरिमामय कार्यक्रम ये दर्शाता है कि हमारी संस्कृति धर्म पर आधारित है और इसीलिए उसे कोई मुग़ल अँगरेज़ आदि कभी नष्ट नहीं कर पाए। उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी के जीवन चरित्र से भी उपस्थित जनसमूह को प्रेरणा दी।

दो जुड़वां तोतों कि कहानी सुनाते हुए उन्होंने संस्कारों का महत्त्व बताया कि कैसे एक तोता डाकुओं के तथा दूसरा साधु संतों के गाँव में पला और जुड़वां होते हुए भी दोनों के संस्कार भिन्न थे। उन्होंने संस्था कि सराहना करते हुए कहा कि इस विश्वविद्यालय से अच्छी संगती भला कहाँ मिलेगी।

अंत में उन्होंने कहा कि भगवान में विश्वास, सादा जीवन, अच्छी संगत और अपने कार्यों में पारदर्शिता रखने से जीवन में परिवर्तन कि संभावना बढ़ जाती है। गाँधी जी का वचन कि कुदरत हमारी हर ज़रुरत को पूरा करती है लेकिन लालच को नही। बहुत ही उत्साह से उन्होंने संस्था को अपनी सेवाएं बढ़ाने को कहा कि आज राष्ट्र को ही नहीं, सम्पूर्ण विश्व को इनकी ज़रुरत है और भारत को विश्व गुरु बनने में इस विश्वविद्यालय का भरपूर सहयोग मिलेगा।

इसके अलावा जस्टिस दया चौधरी, राजयोगिनी प्रेम दीदी और राजयोगिनी उत्तरा दीदी ने भ्राता अमीर चंद जी को स्मरण करते हुए उनके प्रयासों कि सराहना कि और उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। सभी का आग्रह यही था कि मानवता कि सेवा का जो रास्ता भ्राता जी दिखा गए हैं, हमें उसी पथ पर अग्रसर होना है।

दिल के अमीर, चन्द्रमा जैसा शांत स्वाभाव, मुख पर सूर्य के सामान तेज और व्यक्तित्व में सादगी और पवित्रता। ऐसे थे हमारे अपने राजयोगी ब्रह्माकुमार भ्राता अमीर चंद जी। आज भ्राता जी के पहले स्मृति दिवस पर सबकी ज़बान पर कुछ ऐसे ही शब्द थे।

भ्राता जी मात्र 19 वर्ष की आयु में संस्था के संपर्क में आये और बहनों के सादे सात्विक जीवन व उत्तम कार्यशैली से प्रभावित होकर विभिन्न कार्यों में संस्था के मददगार बने। ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्वविद्यालय की शिक्षाओं का ही प्रभाव था कि 1982 में हरियाणा सरकार की उच्च स्तरीय नौकरी से स्वेच्छा से सेवानिवृति ले कर उन्होंने अपना शेष जीवन संस्था के साथ मानवता के प्रति समर्पित कर दिया। शायद उन्हें अपने जीवन का लक्ष्य मिल गया था। वे 60 से भी ज़्यादा वर्ष संस्था के साथ जुड़े रहे और भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी समाज के उत्थान के प्रति उन्होंने सराहनीय सेवाएं दी। चंडीगढ़ पंजाब हिमाचल हरयाणा और उत्तराखंड उनकी मुख्य कर्मभूमि रही जहाँ आज संस्था के करीब 400 सेण्टर कार्यरत हैं।

गतवर्ष 28 नवंबर 2020 में उन्होंने अपनी जीवन यात्रा पूर्ण करते हुए शिवबाबा की गोद ली ।उस समय वे संस्था के साथ पंजाब ज़ोन के डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे।  इसके अलावा सोनीपत रिट्रीट सेंटर के डायरेक्टर, सोशल सर्विस विंग के चेयरपर्सन और मैनेजमेंट कमिटी के मेंबर भी थे।

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