“Peace of Mind and Power of Mind” Camp by Brahma Kumaris Bhilai

Bhilai ( Madhya Pradesh ): On the first day of the Brahma Kumaris peace and strength camp inaugurated in Borsi Bhilai Mani Swami, the head of the well-known Skandashram at Hudco, Bhilai, shared his experience of Amritvela (early morning 4 am) scene in Madhuban. He said that from Amritvela in the morning in Madhuban, all BKs fill themselves with divine powers by the power of concentration of mind. I too got the best of the experience when I visited Madhuban.

The camp was organized for seven days by Udgar Brahma Kumaris in Amadi Nagar, Hudco, Shri Ram Chowk in Kalibari premises. In the camp, Dr. Ambedkar Gyan Ratna awardee, the national speaker and senior Rajyoga teacher BK Prachi, spoke on the power of life camp that everything in life depends on peace of mind and making myself powerful depends on me. Our calm mind is the solution to every problem, just as the best tree is made of the best seed, in the same way, the best life is created by the best ideas. The better my thinking is, the more my mind will be calm and full of happiness, if the quality of my thinking is good, no one can take away my peace of mind. She even emphasized that we have come to this theater-based life for a short time, and we will have to go one day, so play the best part with everyone in love and peace.

Some of the guests who visited the camp and graced the occasion with their presence included Councilor Dinesh Yadav; Mahila Samiti President Rajni Jain; Sureka Khati, Councilor; Seema Jhad, Annapurna Temple President; Amarjeet Singh Charan; Sanjay Dani, former Councilor; Neelima Shukla Matri Shakti Committee President; Arun Agrawal, Senior Citizen Welfare Forum President; Dr. Sharda; Ashok Yadav Doctor Anurav; Siju Anthony, former Councilor, BL Malaviya; Doctor Bina Desai; Doctor Vive Ranjan, and Rama Vishwakarma.

Renowned singer BK Poshan launched the program by singing a welcome song of Prabhu Pyaar ( God’s love ) and the inaugural session was successfully conducted by BK Nikita.

News In Hindi:

भिलाई: जीवन में सब कुछ मन की शांति पर निर्भर है और मन को शक्तिशाली बनाना मुझ पर निर्भर करता है। हमारा शांत मन हर समस्या का समाधान है जैसे श्रेष्ठ बीज से श्रेष्ठ वृक्ष का निर्माण होता है ऐसे ही श्रेष्ठ विचारों से श्रेष्ठ जीवन का निर्माण होता है। उक्त उदगार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय आमदी नगर, हुडको में श्री राम चौक स्थित कालीबाड़ी प्रांगण में चल रहे मन की शांति – जीवन की शक्ति शिविर के प्रथम दिन डॉक्टर अम्बेडकर ज्ञान रत्न से सम्मानित ,राष्ट्रिय वक्ता एवं वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी प्राची दीदी ने कही।
आगे आपने कहा कि अहंकार हमें नीचे गिराता है , जीवन में सफल नहीं होने देता है और तनाव बढ़ता है । कहीं हमें जीवन के अंतिम चरण में पछताना न पड़े कि हमने जीवन जीना सीखा ही नहीं ,विचारों को ब्रेक लगाना सीखा नहीं। हमें अभी इसका अभ्यास करना है कि मैं जीवन के हर मोड़ में सुरक्षित रहूं और मेरे साथ वाले भी सुरक्षित रहें। आज हम घड़ी-घड़ी एक दूसरे से टकराते हैं और इसका दोष हम दूसरों को देते हैं।
सर्वप्रथम उपस्थित अतिथिगण पार्षद दिनेश यादव, महिला समिति की अध्यक्ष रजनी जैन, सूरेका खट्टी पार्षद, सीमा झाड़े अन्नपूर्णा मंदिर की अध्यक्ष, अमरजीत सिंह चरण, संजय दानी पूर्व पार्षद, नीलिमा शुक्ला मातृ शक्ति समिति की अध्यक्ष , अरुण अग्रवाल वरिष्ठ नागरिक कल्याण मंच के अध्यक्ष, डॉक्टर शारदा, अशोक यादव डॉक्टर अनुरव, सीजू एंथोनी पूर्व पार्षद, बी एल मालवीय, डॉक्टर बिना देसाई ,डॉक्टर विवेक रंजन, रमा विश्वकर्मा ने दीप प्रज्ज्वलन कर शिविर का विधिवत उद्घाटन किया।
सुप्रसिद्ध गायक ब्रह्माकुमार पोषण ने प्रभु प्यार का एक तराना स्वागत गीत गाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया तथा उद्घाटन सत्र का सफल मंच संचालन ब्रम्हाकुमारी निकिता दीदी ने किया।

दूसरे दिन डॉक्टर अम्बेडकर ज्ञान रत्न से सम्मानित ,राष्ट्रिय वक्ता एवं वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी प्राची दीदी ने जीवन की क्वालिटी के बारे में बताते हुए कहा कि जितनी अच्छी मेरी सोच होगी उतना ही मेरा मन शांत व खुशी से भरपूर होगा अगर मेरे सोचने की क्वालिटी अच्छी है तो मेरे मन की शांति को कोई छीन नहीं सकता। आज मनुष्य का स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग बहुत अच्छा है लेकिन स्टैंडर्ड ऑफ लाइफ की स्थिति खराब है। विज्ञान के आविष्कारों ने मनुष्य के भौतिक जीवन को सुधारा है तो मन की शांति और रिश्तो को बिगाड़ा भी है। हमारे मन के विचारों की स्पीड बहुत अधिक होती है मन हमें कंट्रोल करता है लेकिन हमें राजयोग के द्वारा मन को और विचारों को कंट्रोल करना है । हम मन के कंट्रोल में है लेकिन मन हमारे कंट्रोल में हो जिसके कारण लोग डिप्रेशन के शिकार होकर गलत कदम सुसाइड कर लेते हैं लेकिन इसी असंभव को संभव करने की ताकत है मन में। हमें ऐसे विचार करने हैं जिसे सोचते ही मन में हिम्मत ,शांति ,शक्ति ,निस्वार्थ प्रेम ,खुशी उत्पन्न हो और नेगेटिव विचारों को त्यागना है जिसके सोचने से दुख अशांति ईर्ष्या, स्वार्थ मन में उत्पन्न होते हैं जिससे हमारे मन की सारी शक्ति ऊर्जा समाप्त हो जाती है हमने यह नियम बना लिया है कि कुछ भी परिस्थिति आने पर नेगेटिव ही सोचे लेकिन यह मेरी च्वाइस है। मैं अच्छा सोच सकता हूं तो बुरा भी चॉइस मेरी है। दूसरों को बार-बार सिखा कर हम कमजोर होते हैं लेकिन एक बार स्वयं को सिखाएंगे तो शक्तिशाली होंगे । आपने कहा कि पास्ट की बातों से सीख कर वर्तमान को श्रेष्ठ बना कर श्रेष्ठ भविष्य बना सकते हैं। हम 75% भविष्य 20% पास्ट और सिर्फ 5% वर्तमान के बारे में सोचते हैं । मुझे वर्तमान के समय को यूज करना है तो भविष्य अपने आप ही श्रेष्ठ होगा। दूसरों को देखकर अपने भविष्य का अनुमान लगाना गलत है। शिविर में लोगों को होमवर्क दिया जा रहा है कि आधे आधे दिन में अपने मन में चलने वाले विचारों को चेक करना है कि वह पॉजिटिव है या नेगेटिव है।

छटवें दिन डॉक्टर अम्बेडकर ज्ञान रत्न से सम्मानित ,राष्ट्रिय वक्ता एवं वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी प्राची दीदी ने कहा कि हम इस सृष्टि रूपी रंगमंच पर थोड़े समय के लिए आए हैं यह दुनिया मुसाफिर खाना है मुझे भी जाना है इसीलिए प्रेम और शांति से सभी के साथ बेस्ट पार्ट प्ले करना है। आपने सहज राजयोग के बारे में बताते हुए कहा कि स्वयं पर शासन करना ही राजयोग है। जीवन में हम जिन जिन से अपेक्षा रखते हैं सब खाली हैं जिसे उदाहरण के माध्यम से समझाया गया की दो लोग एक दूसरे से कहते हैं कि पहले आप शांति से बात कीजिए दूसरा कहता है पहले आप शांति से बात करो लेकिन आश्चर्य दोनों के पास शांति और धैर्यता नहीं है। जीवन में अकेले चलने के बजाय उस ऊपर वाले परमात्मा का हाथ पकड़कर उसका बच्चा बनकर चले। आपने कहा कि हर एक का विशेष पार्ट है राम का भी विशेष पार्ट है तो रावण का भी इसीलिए सभी को माफ करें मन को शांत रखें तथा जीवन में आगे बढ़े। कलयुग के अंत में स्वार्थ के वश हो चुकी है सारी मनुष्य आत्माएं । मन शरीर का हिस्सा नहीं आत्मा शक्तिपुंज का हिस्सा है जहां से विचारों का उद्गम होता है । आत्मा में सोचने की शक्ति मन है और समझने की शक्ति बुद्धि है। ज्ञान, पवित्रता, सुख, शांति, आनंद ,शक्ति, प्रेम इन्हीं 7 गुणों के कारण आत्मा को सतोगुणि भी कहते हैं । आज हमने मन की शांति को अंदर से खोया है तथा बाहर की दुनिया में ढूंढ रहे हैं। इस संसार को मृत कृष्णा भी कहते हैं बाहर की चकाचौंध मैं दौड़ रहे हैं | हमें जीवन में हर एक के साथ चलना सीखना है। एक-दो को स्वीकार करें | आपने सारे दिन का समाचार छोटे बच्चे के रूप में परमात्मा को रात्रि सोने के पूर्व सुनाने का होमवर्क दिया ।

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