New Year

नव युग नई सृष्टि के रचता बापदादा अपने नवयुग के आधारमूर्त बच्चों को देख रहे हैं। बापदादा के साथ-साथ आप सभी बच्चे सदा सहयोगी हो, इसलिये आप ही आधारमूर्त हो। दुनिया के हिसाब से आज का दिन वर्ष का संगम है। पुराना वर्ष जा रहा है और नया वर्ष आ रहा है। ये है वर्ष का संगम दिन और आप बैठे हो बेहद के संगमयुग पर। आप सभी नव वर्ष के साथ-साथ नव युग की सभी को मुबारक देते हो। एक दिन की मुबारक नहीं, लेकिन नव युग के अनेक जन्मों की मुबारक देते हो। इस संगम पर अच्छी तरह से अनुभव करते हो कि इस समय हम ब्राह्मण आत्माओं की नई जीवन है। नई जीवन में आ गये हो ना। ब्राह्मणों का संसार ही नया है। अमृतवेले से देखो तो नई रीत, नई प्रीत है। पुरानी दुनिया की दिनचर्या और नये जीवन ब्राह्मण जीवन की दिनचर्या में कितना अन्तर है! सब नया हो गया-स्मृति नई, वृत्ति नई, दृष्टि नई, सब बदल गया ना। और नई जीवन कितनी प्यारी लगती है! वैसे भी नई चीज़ सबको प्यारी लगती है। पुरानी चीज़ छोड़ना चाहते हैं और नई चीज़ लेना चाहते हैं। तो इस समय का यह छोटा-सा नया संसार है। संसार भी नया और संस्कार भी नये। इसलिये दुनिया वाले भी नये वर्ष को धूमधाम से मनाते हैं।

आज स्वराज्य अधिकारी हैं कल विश्व राज्य अधिकारी। है नशा?

नया वर्ष क्या याद दिलाता है? नया युग, नया जन्म। जितना ही अति पुराना लास्ट जन्म है उतना ही नया पहला जन्म कितना सुन्दर है!

मन्सा द्वारा शक्ति स्वरूप बनाओ। महादानी बन मन्सा द्वारा, वायब्रेशन द्वारा निरन्तर शक्तियों का अनुभव कराओ। वाचा द्वारा ज्ञान दान दो, कर्म द्वारा गुणों का दान दो। सारा दिन चाहे मन्सा, चाहे वाचा, चाहे कर्म तीनों द्वारा अखण्ड महादानी बनो। समय प्रमाण अभी दानी नहीं, कभी-कभी दान किया, नहीं, अखण्ड दानी क्योंकि आत्माओं को आवश्यकता है। तो महादानी बनने के लिए पहले अपना जमा का खाता चेक करो। चार ही सबजेक्ट में जमा का खाता कितनी परसेन्ट में है?

paatha samvatsaraniki Good bye, new year ki welcome

पुराने साल को विदाई देने के साथ-साथ माया को भी विदाई दे दो।

ऐसे नहीं-खुश भी बहुत हो और फिर कभी उदास भी बहुत हो जाओ, ऐसे नहीं करना। इस वर्ष में उदास या अकेलापन या व्यर्थ भाव लाना ही नहीं है। तब तो नई दुनिया को समीप लायेंगे ना। अच्छा! नये वर्ष में नया उमंग है, नया उत्साह है। अभी सभी को ऐसे नचाते-गाते रहना। अच्छा! हर समय मुबारक है ना। अविनाशी मुबारक।

नया वर्ष शुरू किया है तो नया विधि और विधान भी चाहिये ना। समय को सफल करो, हर श्वांस को सफल करो, हर संकल्प को सफल करो, हर शक्ति को सफल करो, हर गुण को सफल करो। सफलतामूर्त बनने का यह विशेष वर्ष मनाओ क्योंकि सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है।

 इस वर्ष महादानी-वरदानी मूर्त स्वयं प्रति भी और सर्व प्रति भी बनो और हर रोज कोई न कोई नवीनता अर्थात् प्रोग्रेस अवश्य करो। तो ये हुआ स्व के पुरूषार्थ के प्रति। सेवा में क्या करेंगे? सेवा में भी नवीनता लानी है ना।

 तो वरदान देने की विधि है-जो भी आत्मा सम्बन्ध-सम्पर्क में आये उनको अपने स्थिति के वायुमण्डल द्वारा और अपने वृत्ति के वायब्रेशन्स द्वारा सहयोग देना अर्थात् वरदान देना। कैसी भी आत्मा हो, गाली देने वाली भी हो, निन्दा करने वाली हो लेकिन अपनी शुभ भावना, शुभ कामना द्वारा, वृत्ति द्वारा, स्थिति द्वारा ऐसी आत्मा को भी गुण दान या सहनशीलता की शक्ति का वरदान दो।

इस नये वर्ष का अमृतवेले सदा यह स्लोगन इमर्ज करना कि ‘‘सदा उमंग-उत्साह में उड़ना है और दूसरों को भी उड़ाना है।’’  उमंग-उत्साह उड़ती कला के पंख सदा साथ हैं। यह उमंग-उत्साह आप ब्राह्मणों के लिये बड़े से बड़ी शक्ति है। नीरस जीवन नहीं है। दुनिया वाले तो कहेंगे कि क्या करें, रस नहीं है, नीरस है, बेरस है और आप क्या कहेंगे उमंग-उत्साह का रस है ही है। कभी दिलशिकस्त नहीं हो सकते हो। सदा दिल खुश। कैसी भी मुश्किल बात हो, लेकिन उमंग-उत्साह मुश्किल को सहज कर देता है। उत्साह तूफान को भी तोहफा बना देता है, पहाड़ को भी राई नहीं लेकिन रूई बना देता है। उत्साह किसी भी परीक्षा वा समस्या को मनोरंजन अनुभव कराता है। इसलिये उमंग-उत्साह में रहने वाले नव युग के आधारमूर्त नव जीवन वाले ब्राह्मण आत्मायें हो।

इस नये वर्ष में नया चार्ट रखना। क्या नया चार्ट रखेंगे? चार सब्जेक्ट को तो अच्छी तरह से जानते हो। तो इस वर्ष का यही चार्ट रखना कि चारों ही सब्जेक्ट में-चाहे ज्ञान में, चाहे योग में, धारणा में, सेवा में, हर सब्जेक्ट में हर रोज कोई न कोई नवीनता लानी है। ज्ञान अर्थात् समझदार बनना, समझ देना और समझदार बन चलना। ज्ञान में भी नवीनता का अर्थ है जो अपने में कमी है उसको धारण किया तो नवीनता हुई ना। ना से हाँ हुई तो नया हुआ ना। इसी रीति से योग के प्रयोग में हर रोज कोई न कोई नया अनुभव करो। योग में बहुत अच्छे बैठे, बहुत अच्छा योग लगा, लेकिन नवीनता क्या हुई? परसेन्टेज बढ़ना भी नवीनता है। आज अगर आपकी परसेन्टेज योग की 50% है और कल 50 से वृद्धि हो गई तो नवीनता हो गई। ऐसे नहीं कि एक ही मास में 50-50 लगाते जाओ। तो चारों ही सब्जेक्ट में स्व के प्रगति में नवीनता, विधि में नवीनता, प्रयोग में नवीनता, औरों को सहज योगी बनाने में और परसेन्टेज बढ़ना माना नवीनता। किसको दु:ख दिया, किसको क्रोध किया-यह तो कॉमन चार्ट है। यह तो आपकी जो रॉयल प्रजा है वह भी रखती है। आप रॉयल प्रजा हो वा राजा हो? तो नवीनता से स्वत: ही तीव्र पुरूषार्थ के समीपता की अनुभूति होती रहेगी।

जहाँ समर्थ है वहाँ व्यर्थ स्वत: ही खत्म हो जाता है। समर्थ स्थिति है स्विच ऑन होना। जैसे इस स्थूल लाइट का स्विच ऑन करना अर्थात् अन्धकार को समाप्त करना, ऐसे समर्थ स्थिति अर्थात् स्विच ऑन करना।

नये वर्ष में सदा उमंग-उत्साह में उड़ना और सर्व के प्रति महादानी, वरदानी बन व्यर्थ को समाप्त करना

नव जीवन दे उड़ती कला में उड़ाने वाले, नव युग के रचयिता शिवबाबा अपने आधारमूर्त बच्चों प्रति बोले-

सदा ही एक-दो को शुभ भावना की मुबारक दो। यही सच्ची मुबारक है। मुबारक जब देते हो तो स्वयं भी खुश होते हो और दूसरे भी खुश होते हैं। तो सच्चे दिल की मुबारक है – एक-दो के प्रति दिल से शुभ भावना, शुभ कामना की मुबारक। शुभ भावना ऐसी श्रेष्ठ मुबारक है जो कोई भी आत्मा की कैसी भी भावना हो, अच्छी भावना वा अच्छा भाव न भी हो, लेकिन आपकी शुभ भावना उनका भाव भी बदल सकती है, स्वभाव भी बदल सकती है। वैसे स्वभाव शब्द का अर्थ ही है – स्व (सु) अर्थात् शुभ भाव। हर समय हर आत्मा को यही अविनाशी मुबारक देते चलो। कोई आपको कुछ भी दे लेकिन आप सबको शुभ भावना दो।

 हर सेकण्ड, हर संकल्प, हर आत्मा के सम्पर्क में सदा नये ते नया अर्थात् ऊँचे ते ऊँचा। नीचे की बात को न देखना है, न नीचे की स्टेज अपनानी है, सदा ऊँचा। ऊँचा बाप, ऊँचे बच्चे, ऊँची स्टेज और ऊँचे ते ऊँची सर्व की सेवा हो।

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