One Day Mind-Body-Medicine Conference in Nagpur

Nagpur ( Maharashtra ): Taking out some time out of their busy and stressful life, Doctors and Medical professionals had a pleasant experience while participating in the one day Mind-Body-Medicine Conference organised by the Medical wing of the Brahma Kumaris at Vishwa Shanti Sarovar, Jamtha which was rich in spiritual environment.

The conference was inaugurated by BK Jayanti, European Director of Brahma Kumaris London; BK Rajani, Director, Brahma Kumaris Nagpur; BK Manisha, Deputy Director, Brahma Kumaris Nagpur; BK Dr. Banarasi Lal Shah, Secretary, Medical Wing, Mt. Abu; BK Dr. Mohit Gupta, Professor and Interventional Cardiologist, GB Pant Hospital, New Delhi; BK Dr. Sachin Parab, Professional Counselor and Corporate Trainer Life Coach, Mumbai; Prof. E.V. Swaminathan, Counselor and Advisor for Creation of Value Based Society, Mumbai; Prof. E.V. Girish, Mumbai; Dr. Prakash Dev, President Indian Medical Association, Nagpur; Dr. Raj Gajbhiye, Dean, Govt. Medical College, Nagpur; M. Ofurktsu Deputy Director, Health Services, Nagpur; Dr. Abhey Datarkar, Dean, Govt. Dental College and Hospital, Nagpur and President, IDA, Nagpur; Dr. Usha Radke, Dean, VSPM Dental College and Research Centre, Nagpur; Dr. Vinki Rugwani, Vice-President, Maharashtra Medical Council, Mumbai and Director, Rughwani Child Care Cenre and Hospital, etc. by lighting the lamp.

Welcome address was given by BK Rajani while Dr. Prakash Dev thanked he audience.

Review of the activities of the Medical Wing was given by Dr. Banwari Lal Shah, Secretary, Medical Wing, Mt. Abu. Dr. E.V. Swaminathan, Councillor, Mumbai talked on Happiness- wait or Cultivate. Dr. Mohit Gupta from GB Pant Hospital, Delhi and Dr. Usha Kiran from AIIMS, Delhi talked on their experiences with Power of Mind and Practice Spirituality in Life. BK E.V. Girish, Coach and Moderator from Mumbai guided on Stress Management and Positive Thoughts. Dr. Sachin Parab, Mumbai addressed on Balance, Blessing and Bliss. The session was concluded with the insightful experience on the topic “Healing Power of Silence” by BK Jayanti.

Chief spokesperson BK Jayanti, Director of Brahma Kumaris European Region shared how to calm the mind. During her lecture the audience had deep experience of peace. Talking on meditation and positive psychology she said that in 1990 a research was conducted on negative thoughts but today we have several equipment to study the subtle state of mind. Happiness, love and affection are short lived. We have studied and found that meditation has a deep effect on mind. After research it was found that persons meditating had positive resolves. Positive feelings not only affect the mind but also the personality and the health. Also physical health is far reaching.

Thoughts of the mind generate waves. If someone is peacefully meditating, there is a state of releasing vibrations of peace, love and truth in the atmosphere. We must have experienced peace on entry to a house while in others you may feel disturbed. It depends on the vibrations left by the person in that house.

Effect of negative thoughts

Negative thinking is a means of destroying time, resolves, energy and thoughts. Dadi Janki always used to say that think before you act and check how you feel after the action. Wasteful thoughts reduce your self-power. Meditation destroys wasteful and negative thoughts and for that management of thoughts is essential. It conserves our energy. If there are many types of thoughts, it is also necessary to control them. There might be a difference between the thoughts. The three powers of the soul are mind, intellect and sanskars. The mind gets strength by remembering God and we become powerful through thoughts.

News in Hindi:

नागपुर : व्यस्त और तनावपूर्ण पेशेवर जीवन से समय निकालकर, डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों ने ब्रह्माकुमारीज् के मेडिकल विंग व्दारा आयोजित  माइंड- बॉडी-मेडिसिन  सम्मेलन में सुखदायी अनुभव का आनंद लिया।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ने जामठा के विश्व शांति सरोवर में एक दिवसीय राष्ट्रीय माइंड-बॉडी-मेडिसिन सम्मेलन का आयोजन किया, जो आध्यात्मिक परिवेश से समृद्ध है।

सम्मेलन का उद्घाटन राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी जयंती दीदी, यूरोपियन डायरेक्टर, लंदन, बी.के. रजनी दीदी, संचालिका, ब्रह्माकुमारीज् नागपुर, बी.के मनीषा दीदी, उप-संचालिका, ब्रह्माकुमारीज् नागपुर,  बी.के डाॅ बनवारी लाल शाह जी, सेक्रेटरी मेडिकल विंग, माउंट आबू, ब्रह्मा कुमार डॉ. मोहित गुप्ता, कार्डियोलॉजी और इंटरवेशनल कार्डिओलाॅजिस्ट, प्रोफेसर, जी.बी. पंत हॉस्पिटल, दिल्ली, ब्रह्माकुमार डॉ. सचिन परब, प्रोफेशनल काउंसलर और कॉरपोरेट ट्रेनर, लाइफ कोच मुंबई, प्रो. ई. व्ही. स्वामीनाथन, मुंबई, मूल्य आधारित समाज बनाने पर ध्यान केंद्रित करने परामर्शदाता एवं सलाहकार, प्रो. ई. व्ही. गिरीश, मुंबई, तथा डॉ. प्रकाश देव, * President, Indian Medical   Association, Nagpur, * Public health specialist. ICS officer,  डॉ. राज गजभिए,Dean, Govt. Medical College, Nagpur. MBBS, MS Gen Surgery. Prof & Head, Dept of Gen Surg, GMC, Nagpur. Bariatric & Advanced Laparoscopic Surgeon, M‚- ofurk tSu] Deputy Director Health Services, Nagpur, डाॅ. अभय दातारकर, Dean, Govt. Dental College &  Hospital, Nagpur. Dedicated & Compassionate Craniomaxillofacial Surgeon. President of IDA, Nagpur branch ( 2011-2012) , डॉ. उषा रडके, Dean,VSPM Dental college & Research Centre, Nagpur. Professor & Head, Prosthodontics  at VSPM. डॉ. विंकी रुगवानी, Vice President, Maharashtra Medical  Council, Mumbai Director, Rughwani Child Care Centre and Hospital President, Thalassemia and Sickle Cell Society of Central India. MMC observer of MBM Conference ….. आदि ने दीप जलाकर अभिषेक किया गया।

स्वागत भाषण ब्रह्माकुमारी रजनी दीदी जी ने दिया। आभार डॉ. प्रकाश देव, नागपुर ने किया। इस कार्यक्रम के लिए मेडिकल विंग के सदस्यों और ब्रह्माकुमारी परिवार ने कड़ी मेहनत की।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता के रूप में बी.के. जयंती दीदी जी, निर्देशक ब्रह्माकुमारीज यूरोपीय क्षेत्र से थीं। मेडिकल विंग के कार्यों की समीक्षा डॉ. बनवारी लाल शाह, सचिव, मेडिकल विंग, माउंट आबू ने की। डॉ. ई.व्ही. स्वामीनाथन, कॉन्सलर, मुंबई हैप्पीनेस वेट और कल्टीवेटर पर भाषण दिया। मोहित गुप्ता, दिल्ली माइंड की अगद शक्ति, प्रो. डॉ. उषा किरण, एम्स दिल्ली ने आध्यात्मिकता के साथ अपने जीवन के प्रयोग का एक अनुभवात्मक विवरण दिया। बी.के. ई.वी. गिरीश, मुंबई, कोच और मॉडरेटर ने तनाव प्रबंधन और सकारात्मक सोच पर मार्गदर्शन किया। तो डॉ. सचिन परब, मुंबई ने बैलेंस ब्लेसिंग एंड ब्लिस पर संबोधित किया समापन सत्र का समापन राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी जयंती दीदी के द हीलिंग पावर ऑफ साइलेंस विषय पर अंतर्दृष्टि पूर्ण अनुभव के साथ हुआ।

बी.के. जयंती दीदी जी, डायरेक्टर ब्रह्माकुमारीज यूरोपियन रीजन
मन को शांत कैसे करें इस विषय पर बताया। भाषण के दौरान उपस्थित लोगों ने शांति का गहरा अनुभव किया। मेडिटेशन और पॉजिटिव साइकोलॉजी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस पर साल 1990 में एक रिसर्च हुई थी। इस समय नकारात्मक संकल्प का अध्ययन किया गया था। आज हमारे पास मन की सुक्ष्म अवस्थाओं का अध्ययन करने के लिए अनेक उपकरण हैं। पर सुख, प्रेम, स्नेह अधिक समय तक नहीं रहता, यह थोड़ा कठिन है। लेकिन हमने एक बात का अध्ययन किया। ध्यान का प्रभाव मन पर गहरा होता है इसलिए शोध के बाद यह पाया गया कि ध्यान करने वाले लोगों के संकल्प सकारात्मक पाए गए। सकारात्मक भावनाएं न केवल मन को बल्कि व्यक्तित्व और स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती हैं। साथ ही, शारीरिक स्वास्थ्य दूरगामी है।
मन में संकल्पो से तरंगें आती हैं। यदि कोई ध्यान में शांति से बैठता है तो वातावरण में शांति, प्रेम, सत्य के स्पंदन छोड़ने की स्थिति होती है। हमने महसूस किया होगा कि कुछ घरों में प्रवेश करते ही शांति का अनुभव होता है और दूसरों को घर में प्रवेश करने के बाद अशांति का अनुभव होता है। यह उस घर में व्यक्ति द्वारा छोड़े गए कंपन पर निर्भर करता है।
नकारात्मक विचारों का प्रभाव-
नकारात्मक सोच समय, संकल्प, ऊर्जा और विचार को नष्ट करने का साधन है। दादी जानकीजी हमेशा कहती थीं कि काम करने से पहले सोचो। जब कुछ सामने आता है, तो विचार करें कि यह कर्म होने के बाद कैसे प्रभावित करेगा। व्यर्थ संकल्प आत्मबल को कम करता है। ध्यान के अभ्यास से नकारात्मक और व्यर्थ के विचारों का नाश होता है। उसके लिए मानसिक विचारों का प्रबंधन जरूरी है। यह हमारे पास मौजूद ऊर्जा को संरक्षित करता है। यदि अनेक प्रकार के संकल्प हों तो उसका नियंत्रण भी आवश्यक है। एक संकल्प और दूसरे संकल्प के बीच अंतर होना चाहिए। आत्मा की तीन शक्तियाँ मन, बुद्धि और संस्कार हैं। उनका प्रबंधन विचारशील है। परमात्मा के स्मरण से मन को शक्ति मिलती है तो संकल्प से शक्तिशाली बनते है।

डॉ. बनारसीलाल शाह, सचिव, चिकित्सा विभाग, माउंट आबू परिचय में उन्होंने चिकित्सा विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों एवं गतिविधियों की समीक्षा करते हुए कहा कि चिकित्सा विभाग की सेवा 1985 में प्रारंभ हुई थी। पूरे भारत से सिर्फ 8 डॉक्टर आए। हाल ही में आज हुई बैठक में 4500 सदस्यों ने भाग लिया। मेडिटेशन इज मेडिसिन शीर्षक के तहत हमने पहला चिकित्सा सम्मेलन आयोजित किया, हमने जमीनी स्तर से शुरुआत की। भारत में 250 प्रमुख स्थानों पर आयोजित स्वास्थ्य मेले बनाए। उसके बाद नशामुक्ति, स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाया गया। फिर माइंड बॉडी मेडिसिन शीर्षक से एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया। कार्यक्रम सुबह 4 बजे से शुरू होता है, मुझे लगता है कि यह दुनिया का पहलासम्मेलन होगा जो सुबह 4 बजे से शुरू होता है। वरिष्ठ नागरिकों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। परमात्मा प्राप्ति के लिए प्रातः4 बजे स्वयं योगाभ्यास करें। इसमें मेडिसिन के क्षेत्र के डॉक्टर और प्रोफेसर हिस्सा लेते हैं। उनका अनुभव बहुत अच्छा और बहुत प्रेरक है। इस प्रकार केकार्यक्रम में भाग लेने से वे स्वयं तनाव से मुक्ति का अनुभव करते हैं। इस अवसर पर उन्होंने नशामुक्ति अभियान, कैड कैंप, मधुमेह उन्मूलन, कोविड योद्धाओं का सम्मान, तंबाकू उन्मूलन आदि गतिविधियों की समीक्षा की.

हॅपीनेस वेट और कल्टिवेट – डॉ. ई.व्ही. स्वामीनाथन, काॅन्सलर, मुंबई,डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि आनंद मन की एक अवस्था है और जहां मन शांत है वहां खुशी है। खुश रहने का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। ब्रह्माकुमारियों ने हमेशा योग को प्राथमिकता दी है। शरीर के लिए गति और व्यायाम और मन के लिए शांति की आवश्यकता होती है। वाह, वाह, वाह जिंदगी वाह मंत्र उपस्थित लोगों में चेतना लाता है- स्वामीनाथन ने उपस्थित लोगों को कुछ प्रेरक दिमागी व्यायाम दिए, जिसमें बड़ी सकारात्मकता और आनंद के साथ वाह जिंदगी वाह मंत्र ने उपस्थित लोगों को सकारात्मक माहौल के लिए प्रेरित किया। इसी तरह, उन्होंने अन्य सकारात्मक विचार भी दिए जैसे वाह, वाह, वाह मेरा परिवार वाह, मेरा देश वाह, यह प्रकृति वाह, सुप्रीम सर्जन वाह, आदि।
अंगद शक्ति मन की रू डॉ. मोहित गुप्ता, दिल्ली डॉ. गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे डॉक्टर इतने व्यस्त रहते हैं कि अपने लिए समय ही नहीं निकाल पाते हैं. मैं अपने बीजी का मतलब बी – ईजी से लेता हूँ। अपने लिए समय निकालना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। हमारा जीवन हमारे संकल्पों की संरचना है। परिवर्तन एक प्रक्रिया है और इसकी शुरुआत स्वयं से करनी होगी। राजयोग परिवर्तन की एक अद्भुत यात्रा है। इसकी शुरुआत आप खुद से करें तो इस सफर में सुख, शांति, आनंद, प्रेम आदि गुण आपके साथ चलते रहेंगे। संकल्प शुद्ध होगा तो दृष्टि शुद्ध होगी और दृष्टि सृष्टि का परिवर्तन कर देगी। भौतिकवादी समाज में आध्यात्मिकता को जीवन में शामिल करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इसे पारिवारिक स्नेह, प्रेम को बनाए रखने के लिए अपनाया जाता है।
प्रो डॉ. एम्स दिल्ली के उषा किरण ने आध्यात्मिकता के साथ अपने जीवन के प्रयोग का एक अनुभवात्मक विवरण दिया। प्रो. ई. व्ही. गिरीश, मुंबई, कोच और मॉडरेटर ने तनाव प्रबंधन और सकारात्मक सोच पर मार्गदर्शन दिया। डॉ. सचिन परब, मुंबई ने बैलेंस-ब्लेसिंग एंड ब्लिस पर संबोधित किया। समापन सत्र का समापन राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी जयंती दीदी जी के द हीलिंग पावर ऑफ साइलेंस विषय पर अंतर्दृष्टि पूर्ण अनुभव के साथ हुआ।

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