‘Media Independence and Stress-Free Environment for Journalism’ Seminar for Media Personnel

New Delhi: The Hari Nagar service center of Brahma Kumaris in New Delhi,  in collaboration with Manav Kalyan Aadhyatmik Sansthan, held a seminar on ‘Media Independence and Stress-Free Environment for Journalism‘, for media personnel.  This initiative was taken in light of ‘Amrit Mahotsav’ of Independence Week being observed by the Government of India.  Professor Sanjay Dwivedi, Director General of IIMC, Ministry of Information and Broadcasting,  GOI, was the Chief Guest on this occasion.

Prof. Sanjay Dwivedi, while expressing concern over the harmful influence of western thought on Indian Media, said that the Nation needs Indianization of our Media and Spiritualization of our society.  Although modernization of Indian media happened under the western influence,  but the fundamentals of our journalistic ethos were formed during our freedom struggle.  Citing Gandhi, Nehru, Malaviya and Tilak, he said that these great men practiced Journalism to bring the society together.  This should be our inspiration.

Prof. Dwivedi said that media is a medium of social and human construction.  Following western principles will not allow this work to happen well. Negativity is fundamental to western journalism.  Under its influence,  the tendency to showcase Indian unity in diversity as conflict has increased.  India is a land of farmers and villagers. It has propagated the philosophy of ‘Vasudhaiva Kutumbakam’, this whole world is one family, since time immemorial.  Journalism based on positive values can safeguard our Nation. Social welfare is possible only through spirituality.

Prof. Pradeep Mathur, Senior Journalist and Media Teacher, said that our scriptures are full of positivity,  hence our ancient media worked on positive values. Society should encourage those who do good work.

BK Asha, Director of Om Shanti Retreat Center Gurgaon,  said that if one thinks of himself as an instrument of social welfare,  then he will work with honesty and dedication. We must pledge to rid Bharat of evil tendencies.  When social consciousness is bound in a single thread, it becomes boundless.  This is an appropriate time for the Indian media to improve its ethos.

Rajyogini Shukla, Head of Manav Kalyan Aadhyatmik Sansthan, said that Bharat stands for sacrifice,  penance and renunciation.  She encouraged journalists to increase peace and harmony in the society with their work.

Manohar Singh, Head of Delhi Patrakar Sangh, M. Hussain Ghazali, Senior Urdu Journalist, and others also shared their views.

A short group session of Rajayoga Meditation was also held for the audience.  Patriotic song and dance performances were presented. A short play on the sacrifices and glory of soldiers was also enacted.

News in Hindi:

नई दिल्ली: भारत सरकार द्वारा मनाये जा रहे देश की ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव सप्ताह’ के समापन दिवस पर “मीडिया स्वतंत्रता व तनाव मुक्त पत्रकारिता वातावरण” विषय पर पत्रकारों के लिए आयोजित सेमीनार में मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार के सूचना व प्रसारण मंत्रालय की आईआईएमसी के महानिर्देशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि मीडिया के भारतीयकरण और समाज के अध्यात्मिकरण से ही समाज की सारी समस्याओं का समाधान होगा। यह सेमिनार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय एवं मानव कल्याण अध्यात्मिक संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में ब्रह्मा कुमारी संस्था के हरि नगर स्थित राजयोग ध्यान केंद्र पर कल संपन्न हुआ।

प्रो. संजय द्विवेदी ने भारतीय मीडिया पर पश्चिमी सोच के गहराते प्रभाव को नुकसानदायक बताते हुए रविवार को कहा कि देश में जरूरत है “मीडिया के भारतीयकरण और समाज के अध्यात्मीकरण” की। भारत में आधुनिक पत्रकारिता की शुरुआत भले ही पश्चिम की तर्ज पर शुरू हुई हो पर देश की वास्तविक पत्रकारिता मूलतः भारतीय स्वाधीनता संग्राम के गर्भ-नाल से पैदा हुई है। उन्होंने गांधी, तिलक , मालवीय और नेहरू के पत्रकारिता के क्षेत्र में योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि इन महापुरुषों की पत्रकारिता समाज को सशक्त और संगठित करने की पत्रकारिता थी और उसकी धवल परंपरा हमारी पथ प्रदर्शक होनी चाहिए।

प्रो द्विवेदी मीडिया को मानव निर्माण का माध्यम बताते हुए कहा कि भारत में यह कार्य अंग्रेजी और अंग्रेजियत के रास्ते से संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी मीडिया में नकारात्मकता एक मूल तत्व है, उसी के कारण भारत की विविधता में एकता देखने की बजाय बिखराव और विभेद को बढ़ा चढ़ा कर दिखाने की प्रवृति बढ़ी है। प्रो द्विवेदी के अनुसार भारत ही एकमात्र देश है जिसमें पूरी वसुधा को कुटुंब माना गया है और सबको आत्मसात किया है। उन्होंने ऐसी भ्रामक धारणाओं से उबरने की जरूरत पर बल दिया कि भारत केवल गांवो और किसानों का देश रहा है। उन्होंने कहा की भारत प्राचीन काल में महाजनपदों, महानगरों , और सम्पूर्ण कलाओं का देश रहा है।

प्रो द्विवेदी यहाँ गैर सरकारी संस्था प्रजापिता ब्रह्माकुमारी द्वारा भारतीय स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में “पत्रकारिता की स्वतंत्रता और तनाव मुक्त मीडिया ” विषय पर एक संगोष्ठी में मुख्य व्याख्यान दे रहे थे। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि विदेशी पत्रकारिता नकारात्मक मूल्यों पर आधारित है। जबकि सकारात्मक मूल्य पर आधारित पत्रकारिता से ही भारत का कल्याण होगा। उन्होंने अमृत महोत्सव पर पहली पंक्ति के भारतीय स्वतंत्रता सैनानियों को याद करते हुए कहा कि लगभग सभी ने समाज को जगाने के लिए अख़बार निकाला और पत्रकारिता को माध्यम बनाया। उन्होंने कहा कि मन को सुंदर, पवित्र रखने के लिए अध्यात्म की ओर जाना होगा, जिससे मन नकारामकता से प्रभावित न हो। क्योकि आध्यात्मिकता से ही लोक कल्याण संभव है।

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार व मीडिया प्रशिक्षक प्रो. प्रदीप माथुर ने कहा कि हमारा पुराना मीडिया सकारात्मक था इसलिए हमारे शास्त्रों आदि में सकारात्मकता ही भरी हुई है। उन्होंने कहा कि अच्छे काम करने वालों को मीडिया व समाज से प्रोत्साहन मिलना चाहिए। वास्तव में यही सकारात्मक पत्रकारिता है ।

ओमशांति रिट्रीट सेंटर, गुरुग्राम की निदेशका ब्रह्माकुमारी आशा जी ने कहा कि व्यक्ति अगर समाज कल्याण के कार्य में अपने को निमित्त समझे तो वह मन से हल्का रहेगा तथा ईमानदारी, पारदार्शिता व कुशलता का धनी बन जायेगा। उन्होंने संकल्प कराया कि जैसे स्वतंत्रता सैनानियों ने देश को स्वतंत्र कराने का दृढ़ संकल्प लिया था, वैसे हम भी संकल्प करें कि भारत को रावण रूपी विकारों की जंजीरों से मुक्त कराकर ही छोड़ेंगे। भारतीय मानस में आज फिर से यह विश्वास जगाने की आवश्यकता है कि भारत सर्व कलाओं का देश रहा है, और यह मर्यादाओं का पालन करते हुए यह देश कभी विश्व शिरोमणि था। उन्होंने कहा कि “सामाजिक चेतना जब एक सूत्र में पिरो दी जाए तो समाज की शक्ति अपार हो जाती है’। भारतीय मीडिया के लिये अपने समाज की सोच संवारने का यह उचित समय है।

मानव कल्याण अध्यात्मिक संस्थान की अध्यक्षा राजयोगिनी शुक्ला जी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि भारत का मूल मंत्र त्याग, तपस्या और कुर्बानीहै। उन्होंने पत्रकारों को अपनी अपनी माध्यमों द्वारा समाज में शान्ति, सहयोग, अमन और भाईचारा फैलान की प्रेरणा दी। ताकि लोगों के जीवन स्वस्थ, सुखी व समृद्ध बने ।

इस अवसर पर दिल्ली पत्रकार संघ के अध्यक्ष मनोहर सिंह, वरिष्ठ उर्दू पत्रकार एम. हुसैन गज़ाली एवं कुछ अन्य पत्रकारों ने भी विषय पर अपने विचार रखे।

कार्यक्रम के मध्य में, पत्रकारों को आंतरिक सुख शान्ति, संतुष्टि व मानसिक संतुलन की अनुभूति कराने हेतु कुछ समय के लिए सामूहिक राजयोग ध्यान का अभ्यास कराया गया। इस मीडिया कार्यक्रम में देशभक्ति पर आधारित गीत व नृत्य प्रस्तुत किया गया। तथा अंत में, फ़ौजियों के शान व कुर्बानी पर बनी एक संक्षिप्त नाटिका भी पेश की गई।

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