Jharkhand Governor and Chhattisgarh Education Ministers Address Teacher’s Day Online Webinar

Raipur (Chhattisgarh): On the occasion of Teacher’s Day,  the Brahma Kumaris of Raipur held an online Webinar on the topic the ‘Role of Teachers in Building the Youth‘, on YouTube and social media.  Honorable Governor of Jharkhand,  Ramesh Bais, participated as Chief Guest in this Webinar.

Ramesh Bais, Honorable Governor of Jharkhand, while speaking on this occasion said that a Nation does not become great by its reserves of Gold and Silver, but by the greatness of its youth.  Youth are our Nation’s assets.  If we build good values and character in our children today, tomorrow they will build a Golden Bharat for us.

He further said that children don’t get educated from books alone, but from parents and their surrounding environment as well. That’s why Teachers should have exemplary characters.  Value-based and spiritual education can make a person’s life successful. We need to inculcate this in our current education system.  Spiritual education makes a person compassionate,  altruistic and guides him in the right direction.

Dr. Prem Singh Tekam, School Education Minister of Chhattisgarh,  said that student life is like wet clay, we can mold it whichever way we like. That’s why we need to provide value education in childhood.  It is heartening to see that the Brahma Kumaris Organization is providing value education for children.  He appealed to Teachers to pay special attention to character building.

Umesh Patel, Higher Education Minister of Chhattisgarh,  while congratulating everyone on Teachers Day, said that after Parents,  teachers are the role models for children.  Teachers need to adopt new technologies.

BK Hemlata, Chief Zonal Coordinator of Brahma Kumaris from Indore, said that today’s education can make good doctors and engineers but cannot ensure good human beings.  Youth have lost their morale and are unable to face life’s situations.  Due to lack of spiritual values,  discrimination, restraint and morals are missing in the youth.

Dr. S. K. Patil, VC of Indira Gandhi Krishi Vishwa Vidyalya, said that Teachers are the makers of a Nation. Children need guidance at every step.  To provide that guidance is a teacher’s job.

BK Kamla, Incharge of Shanti Sarovar Retreat Center of Brahma Kumaris in Raipur,  said that if children are given good moral and spiritual values right from childhood,  we will have good people in the society.  Rajayoga Meditation is very helpful in this regard.

Swapril Kushtarpan, Local Singer, and Sharda performed beautiful music for the audience.  Child artists Ayushi and Parineeta gave dance performances.  BK Snehmayi coordinated this program.

News in Hindi:

शिक्षक दिवस पर यू-ट््यूब में ऑनलाईन वेबीनार।

नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों से बच्चों को संस्कारित करने की जरूरत- रमेश बैस, राज्यपाल।

रायपुर, 05 सितम्बर: शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के शिक्षाविद सेवा प्रभाग द्वारा सोशल मीडिया यू-ट््यूब पर ऑनलाईन वेबीनार का आयोजन किया गया। जिसका विषय था- युवाओं को गढऩे में शिक्षकों की भूमिका।

चर्चा में भाग लेते हुए झारखण्ड के माननीय राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि कोई भी देश सोने, चांदी अथवा वहॉं पाए जाने वाले बहुमूल्य सम्पदा के आधार से महान नही बनता, वरन्ï जिस देश के बच्चे महान होंगे, वह देश ही महान बनेगा। निश्चय ही बच्चे राष्ट्र की सम्पत्ति हैं और भावी भारत के कर्णधार हैं। आज बच्चों की नैतिक और चारित्रिकआधारशिला मजबूत बनाई जाए तो यही बच्चे भावी स्वर्णिम भारत के भविष्य को साकार कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल पुस्तकों से ही प्राप्त नही होती अपितु माता-पिता और पास-पड़ोस के वातावरण का भी बच्चों के चिन्तन पर स्थाई प्रभाव पड़ता है। व्यक्तिको शिक्षित करने में शिक्षक के व्यावहारिक जीवन और आचरण का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। इसलिए शिक्षक का जीवन समाज के आगे आदर्श रूप में होना चाहिए। तब ही वह अपने चरित्र से बच्चों को प्रेरणा दे सकता है।

राज्यपाल रमेश बैस ने आगे कहा कि आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की शिक्षा से मनुष्य का व्यवहार श्रेष्ठ और चरित्र महान बनता है। उससे अच्छे संस्कारों का निर्माण होता है। वर्तमान शिक्षा में आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को शामिल कर बच्चों को अच्छी तरह सुसंस्कारित करने की जरूरत है। आध्यात्मिक शिक्षा को प्राप्त करने वाला व्यक्ति केवल अपने लिए ही नहीं जीता बल्कि वह करूणाशील और परोपकारी होता है। शिक्षा मनुष्य को अन्धकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाती है और उसका सही मार्गदर्शन करती है।

छत्तीसगढ़ के स्कूली शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेम साय सिंह ने कहा कि विद्यार्थी जीवन कच्चे घड़े की तरह होता है, उसे हम जैसा आकार देना चाहे वह दे सकते हैं। इसीलिए विद्यार्थियों को बचपन से नैतिक शिक्षा देने की जरूरत है। नैतिक शिक्षा देने का अभिप्राय है कि उनका चारित्रिक विकास हो। खुशी की बात है कि ब्रह्माकुमारी संस्था बच्चों को नैतिक शिक्षा देकर चरित्रवान बना रही है। उन्होने वर्तमान शिक्षा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि क्या शिक्षा ने अपना उद्देश्य प्राप्त कर लिया? क्या शिक्षा प्राप्त करने वाला विद्यार्थी अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना कर पा रहे हैं? उन्होंने शिक्षकों से बच्चों के चरित्र निर्माण में विशेष योगदान करने की अपील भी की।

उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि शिक्षक दिवस की बधाई देते हुए बतलाया कि माता-पिता के बाद सबसे अधिक पूज्यनीय शिक्षक होता है। गुरूजन उनके रोल माडल रहे हैं। उनके व्यक्तिगत चरित्र निर्माण में शिक्षकों का बहुत योगदान रहा है। वर्तमान समय शिक्षा और शिक्षकों में नई टेक्नॉलाजी का उपयोग करने की जरूरत है। उन्होंने अपने पिता स्व. नन्दकुमार पटेल का स्मरण करते हुए कहा कि वह हर वर्ष शिक्षक दिवस पर सेवानिवृत्त गुरूजनों का सम्मान किया करते थे। वह कहते थे कि भले ही आप सेवानिवृत्त हो गए हैं किन्तु समाज के प्रति आज भी आपकी जिम्मेदारी पूरी नहीं हुई है।

इन्दौर से मुख्य क्षेत्रीय समन्वयक ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने कहा कि वर्तमान शिक्षा किसी को अच्छा डॉक्टर, इन्जीनियर बना सकती है किन्तु वह उसे अच्छा इन्सान नहीं बना सकती है। युवाओ का मनोबल कमजोर हो गया है इसलिए वह परिस्थितियों का सामना करने में असफल हो जाता है। युवको के पास अच्छी डिग्री तो होती है लेकिन जीवन में सफल होने के लिए नैतिक मूल्यों की डिग्री नहीं होती है। आध्यात्मिकता के अभाव में उसके पास निर्णय शक्ति, परखने की शक्ति, आत्मनियंत्रण की शक्ति और नैतिकता की शक्ति नहीं है। वह सहनशीलता, दिव्यता, मधुरता और करूणा, दया आदि दिव्य गुणों से भी वंचित है।

इन्दिरा गाँधी कृषि वि.वि के कुलपति डॉ. एस.के.पाटिल ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माता होता है। ईश्वर से पहले गुरू को प्रणाम करने की परम्परा हमारे देश में रही है। कदम कदम पर बच्चे को मार्गदर्शन की जरूरत होती है। उसका सही मार्गदर्शन करना गुरू का काम है। शिक्षा मनुष्य को परिपूर्ण बनाती है। स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा था कि असली शिक्षा वही है जो मनुष्य की बुद्घि का विकास करे, उसके चरित्र का निर्माण करे और उसे पैरों पर खड़ा होना सिखाए।

क्षेत्रीय निदेशिका एवं शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर रायपुर की संचालिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी ने कहा कि यदि बच्चों को माँ की गोद से ही नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की शिक्षा दी जाए तो अच्छे इन्सान समाज को मिलेंगे। आध्यात्मिकता हमारे जीवन को नैतिक मूल्यों से संवारने में मदद करती है। राजयोग मेडिटेशन इसमें बहुत अधिक मददगार सिद्घ हो सकती है। सद्गुणों की प्राप्ति अध्यात्म से ही हो सकती है।

इस अवसर पर रायपुर के स्थानीय गायक स्वप्निल कुशतर्पण तथा कु. शारदा नाथ ने प्रेरणादायक सुन्दर गीत प्रस्तुत किया। साथ ही कु. आयुषी और कु. परिणीता द्वारा मनोरंजक नृत्य मनभावन प्रस्तुत किया गया। संचालन ब्रह्माकुमारी स्नेहमयी बहन ने किया।

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