Dhamtari MLA Inaugurates Five-Day Camp on “The Story of True Narayan”

Dhamtari ( Chhattisgarh ): The Brahma Kumaris Dhamtari launched a five-day camp on the spiritual significance of the legendary Satyanarayan Katha (story of the true Narayan) and its present-day relevance for stress management. The program was inaugurated by the chief guest Ranjana Sahu, MLA, Dhamtari, in the presence of other invitees, including Purnima Sahu, Chairperson, Janapad Panchayat, Kurud; Chief Speaker Rajyogini BK Urmila; Associate Editor, Gyanamrit, Rajsthan, and BK Sarita, Center In-charge of Brahma Kumaris in Dhamtari.

Addressing the first day’s session on the Spiritual Significance of Satyanarayanan Katha, Chief Speaker Rajyogini BK Urmila presented the relevance of the legendary tale Satyanarayan Katha, which is divided into five stages, each stage representing the stride to achieve the highest human values to escape illness, sorrow and agony, the root cause of stress in the present world. Rajyogini Urmila further added that the Supreme Father descends on this earth at the end of kaliyug (the Iron Age) to liberate the human race by imparting the highest spiritual knowledge and easy Rajayoga for the transformation of ordinary mortals into Shri Laxmi and Shri Narayanan.

The program continued daily in two sessions, 7 am to 8:30 am in the morning, and 7 pm to 8:30 pm in the evening, from November 24 to 27.

News In Hindi:

धमतरी:  ब्रह्माकुमारीज धमतरी तत्वाधान में दिनांक 23 नवम्बर से 27 नवम्बर 2019 तक पांच दिवसीय सत्यनारायण कथा के आध्यात्मिक रहस्य एवं तनाव मुक्ति शिविर का शुभारंभ किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती रंजना साहू, विधायक धमतरी, श्रीमती पूर्णिमा साहू, अध्यक्ष, जनपद पंचायत कुरूद, ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी एवं मुख्य वक्ता ब्रह्माकुमारी उर्मिला दीदी, संपादिका ज्ञानामृत पत्रिका माउंट आबू (राजस्थान) थे।
पांच दिवसीय शिविर के शुभारंभ सत्र में ब्रह्माकुमारी उर्मिला दीदी जी ने सत्यनारायण कथा का आध्यात्मिक रहस्य स्पष्ट करते हुए कहा कि इस कथा को रोग शोक का नाश करने वाला, धन धान्य की प्राप्ति कराने वाला, तनाव व पापो से मुक्त कर जीवन मुक्ति दिलाने वाला कहा जाता है। यह कथा समाज के छोट बडे़ सभी वर्गों को अपने में समाए हुए भेदभाव रहित, समभाव प्रदान करने वाला है। इस कथा में सबसे आश्चर्य की बात है कि कही भी सत्यनारायण की अथवा उनके जीवन से जुड़़ी किसी भी बात, घटना का वर्णन नहीं है। सत्यनारायण कथा को पांच भागो में सुनाया जाता है कथा का प्रत्येक भाग वर्तमान मानव जीवन को कैसे श्रेष्ठ बनाए इसका संदेश हम सभी को प्रदान करता है।
कथा का प्रथम भाग हमें संतुलित जीवन जीने की शिक्षा देता है हमारा एक कदम यानि कर्म लोक और परलोक दोनों को बनाने वाला हो मनुष्य अपने इस लोक को बनाने में सारा जीवन लगा देता है और परलोक वह खाली हाथ जाता है।
कथा का द्वितीय भाग हमें पुण्य कर्म, श्रेष्ठ कर्म करते बनिया प्रवृत्ति से सावधान रहने के लिए कहता है कि अच्छे कार्यो को कभी कल पर ना टाले, बहाना न बनाएॅ। आंखो में धन सम्पत्ति के लालच की पट्टी बंधी होगी तो कभी परिवार का स्नेह, प्रेम और त्याग का अनुभव नही कर सकेगें।
कथा का तृतीय भाग हमें लौकिक धन और पारलौकिक धन के महत्व को बताता है। बुढ़ापे में जब व्यक्ति का शरीर साथ नहीं देता तब वह चाह कर भी पारलौकिक धन की कमाई नहीं कर सकता। ईश्वर के घर मंसा, वाचा, कर्मणा तीनो की गणना होती। इस जहान मंें वही व्यक्ति श्रेष्ठ है जो विपरित परिस्थिति में विपरित स्वभाव वाले व्यक्ति के साथ निभाकर चलते हुए अपने श्रेष्ठ धर्म कर्म के मार्ग को न छोडें।
कथा के चतुर्थ हिस्से में सत्यता के महत्व को स्पष्ट किया गया है जब हम ईश्वर से सत्य और पाप कर्म छिपाते है तो ईश्वर से दूर हो जाते दुःख अशांति के पात्र बन जातेे है। धर्म और कर्म का संतुलन ही जीवन को लीलामय बनाता और उसका ही गायन पूजन होता है।
पांचवे भाग में कथा प्रसाद का महत्व बताया गया कि प्रसाद की तरह हमारी वाणी भी मीठी मधुरता और नम्रता से भरपूर होना चाहिए जो व्यक्ति इस मधुरता रूपी प्रसाद मात्र को भी जीवन में ग्रहण कर लेता है उसके जीवन का कल्याण हो ही जाता है।
वास्तव में श्री सत्यनारायण सतयुगी, स्वर्णिम भारत का प्रथम महाराजा है जो एक धर्म, एक भाषा, एक कुल एक मत का प्रतिनिधित्व करते है और सम्पूर्ण पवित्रता की धारणा से सम्पन्न है। सर्वआत्माओ के पिता निराकार परमात्मा शिव के द्वारा कलियुग के अंतिम समय में साधारण रूप में इस धरा पर आकर सम्पूर्ण मानव जाति को श्रेष्ठ आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते है जिस ज्ञान और सहज राजयोग के माध्यम से नर नारायण एवं नारी लक्ष्मी पद को प्राप्त करते है।
आमंत्रित मुख्य अतिथीयों ने भी अपनी अपनी शुभकामनाएॅ प्रदान की। कार्यक्रम का संचालन कामिनी कौशिक जी ने किया। यह शिविर दिनांक 24 से 27 नवम्बर तक यह शिविर दो सत्रो में प्रातः 07ः 00 से 08ः30 बजे तक एवं संध्या 07ः00 से 08ः 30 तक धनकेशरी मंगल भवन में चलेगा।

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