Chhattisgarh Agriculture Minister Inaugurates Farmers Empowerment Campaign

Raipur ( Chhattisgarh ): The Agriculture and Rural Development Wing of Rajayoga Education and Research Foundation, Brahma Kumaris inaugurated a ‘Farmers Empowerment Campaign’ at Shantisarovar. It was inaugurated by Ravindra Choubey, Honorable Agriculture and Water Resources Minister of Chhattisgarh.

Honorable Minister Choubey, in his remarks said that positive thinking and Sustainable Yogic Farming can definitely empower the farmers. The state government of Chhattisgarh and its agriculture scientists will extend all help to this campaign by the Brahma Kumaris. The traditional tribal communities of Chhattisgarh follow sustainable farming practices only. Yogic Farming is the future of agriculture.

BK Sarla, Chairperson of Agriculture and Rural development wing of Brahma Kumaris, said that this campaign is aimed at empowering the farmers and improving their economic condition. Under this Rajayoga Meditation technique and Sustainable Farming information will be given to the farmers. They will also be encouraged to get rid of substance abuse.

Dr. S.K. Patil, Vice Chancellor of Indira Gandhi Agriculture University Raipur, said that excessive use of fertilizers and pesticides is depleting the soil. Organic manure which is self manufactured along with chemical free pesticide use is the need of the hour.

BK Atam Prakash, Editor of Gyanamrit from Mount Abu, said that India is still an agricultural economy. It is time that ways and means to grow pure food are explored and encouraged.

BK Kamla while welcoming everyone on this occasion, said that without spiritual development of the masses, real progress cannot take place. Today, the farming sector is in need of attention and assistance.

BK Sumant, Headquarters co-ordinator of the Rural wing from Mount Abu also shared his views with the audience. BK Sarita from Dhamtari co-ordinated the whole program.

News in Hindi:

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने किसान सशक्तिकरण अभियान का शुभारम्भ किया-
किसानों के जीवन स्तर को उपर उठाने के लिए यौगिक खेती अच्छी पहल… रविन्द्र चौबे

रायपुर: कृषि और जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि सकारात्मक सोच और यौगिक खेती से किसानों का सशक्तिकरण होगा और उनके जीवन स्तर को उपर उठाने में मदद मिलेगी। छत्तीसगढ़ में चलाए जा रहे इस ब्रह्माकुमारी संस्थान के अभियान में राज्य शासन और कृषि वैज्ञानिक भी सहयोग करेंगे।

श्री रविन्द्र चौबे आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग द्वारा शान्ति सरोवर में आयोजित किसान सशक्तिकरण अभियान के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ की धरती रत्नगर्भा है। यह राज्य खनिज सम्पदा से भरपूर है। प्रकृति ने हमें खूब संसाधन दिए हैं। किन्तु किसानों के सामने जो चुनौतियाँ और कठिनाइयाँ हैं, उनका निराकरण करने के लिए ब्रह्माकुमारी संगठन द्वारा किसान सशक्तिकरण अभियान चलाया जा रहा है। यह निश्चित रूप से किसानों के हित में मददगार सिद्घ होगा।

उन्होंने बतलाया कि राज्य में ४३ प्रतिशत भूभाग में जंगल है। यहाँआदिवासी अंचल में लोग जैविक खेती ही करते हैं। वे लोग बहुत ही कम रसायनिक खाद का प्रयोग करते हैं। आप एक बार पेण्ड्रा और मरवाही का चावल चख लें तो दंग रह जाएंगे। उसमें इतनी मिठास है किबड़े बड़े वैज्ञानिक भी उसको देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं कि कैसे ये लोग इतना अच्छा अन्न उत्पादित कर लेते हैं? इसलिए हमें यौगिक खेती की दिशा में आगे बढऩे की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने एक महात्वाकांक्षी योजाना शुरू की है। नरवा, गरवा, घुरवा और बारी, छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, इसको बचाना है संगवारी। राज्य में अपार सम्पदा है। नरवा माने जल सरंक्षण, घुरवा माने कम्पोष्ट खाद। इसी दिशा में गायों के सरंक्षण के लिए २१०० गौठान बनाए जा चुके हैं। राज्य में बड़ी बड़ी सड़कें तो बन गई हैं लेकिन गौ माता सुरक्षित नहीं है। इसलिए राजमार्ग के किनारे भी गौठान बनाने की योजना है। मुख्यमंत्री जी का यह मानना है कि नक्सली समस्या के कारण जितने लोग मरते हैं उससे ज्यादा लोग कुपोषण से मर जाते हैं। राज्य में कुपोषण दूर करने के लिए भी उनकी सरकार काम कर रही है।

कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्षा ब्रह्माकुमारी सरला दीदी ने कहा कि किसान सशक्तिकरण अभियान का पहला उद्देश्य किसानों को सशक्त बनाना है। दूसरा उद्देश्य उनकी अर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। किसानों को जैविक खेती के साथ ही राजयोग की शिक्षा देकर यौगिक खेती के लिए मार्गदर्शन करेंगे। तीसरा उद्देश्य किसानों को व्यसन मुक्ति की प्रेरणा देना है। किसान खुशहाल होंगे तो समाज और देश भी खुशहाल बनेगा। यौगिक खेती में किसी भी प्रकार के रसायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता है।

इन्दिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. एस. के. पाटिल ने कहा कि आजादी के चार वर्ष पहले एक साल में बीस से तीस लाख लोग भोजन न मिलने के कारण मर गए थे। बाद में हरितक्रान्ति आयी जिसके फलस्वरूप आज हम अन्न के उत्पादन में आत्मनिर्भर हैं। लोग लालच में आकर ज्यादा से ज्यादा रसायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग करने लगे हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। उन्होंने कहा कि शारीरिक और मानसिक अनुशासन के साथ आत्मा का सम्बन्ध परमात्मा से जोडऩा ही योग है। योग से लालच दूर होगा और हानिकारक रसायनिक खाद से छुटकारा मिलेगा। हमें अपनी खाद और कीटनाशक खुद बनाना होगा।

माउण्ट आबू से प्रकाशित मासिक पत्रिका ज्ञानामृत के प्रधान सम्पादक ब्रह्माकुमार आत्मप्रकाश ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है। ७० प्रतिशत लोग खेती से जुड़े हैं। इस प्रकार देश की अर्थ व्यवस्था कृषि पर टिकी हुई है। किन्तु रसायनिक खाद के अधिक उपयोग से जमीन बंजर होती जा रही है। पंजाब और हरियाणा में जाकर इसे देखा जा सकता है। अब यौगिक खेती को अपनाकर शुद्घ और पौष्टिक अन्न का उत्पादन करने की जरूरत है। ऐसे शुद्घ अन्न को खाने से मन भी शुद्घ होगा। इसे साथ ही किसानों को व्यसनों से भी छुटकारा दिलाने की जरूरत है।

प्रारम्भ में क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि हमारा आध्यात्मिक जागृति और नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों की स्थापना के बिना कोई भी विकास अधूरा है। आज ग्राम्य संस्कृति को पुन: जागृत करने की आवश्यकता है। इसी दिशा में जैविक खेती में योग का समावेश कर ब्रह्माकुमारी संस्थान के ग्राम विकास प्रभाग द्वारा शाश्वत यौगिक खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है। ताकि कम खर्च में अधिक और स्वास्थ्यवर्धक पैदावार प्राप्त किया जा सके।

इस दौरान माउण्ट आबू से आए मुख्यालय संयोजक ब्रह्माकुमार सुमन्त भाई ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन धमतरी संचाकेन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने किया।

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