Brahma Kumaris Pay Tribute To Mama, First Chief Administrator Of Brahma Kumaris

Raipur ( Chhattisgarh ): The 58th ascension day of Brahma Kumari Om Radhe, the first Chief Administrator of  Brahma Kumaris, was observed with reverence.

Regional Director of Brahma Kumaris, BK Hemlata, BK Savita and BK Kiran  paid tribute by offering flowers on the portrait of Brahma Kumari Om Radhe in a ceremony held at Shanti Sarovar located on Vidhansabha Road. They narrated the memories related to the life of Mateshwari and inspired everyone to follow the path shown by her.

Brahma Kumari Hemlata told that Mateshwari was full of all qualities besides being an idol of motherly love. Everyone used to call her mother. Her life being very ideal is inspirational for all. She nurtured all like a mother. Mateshwari  left  her body on 24th June. Since then special events are organized on her death anniversary.

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ब्रह्माकुमारी ओम राधे की 58 वीं पुण्य तिथि श्रद्घापूर्वक मनाई गई

रायपुर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की प्रथम मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारी ओम राधे की 58 वीं पुण्य तिथि श्रद्घापूर्वक मनाई गई।

विधानसभा रोड पर स्थित शान्ति सरोवर में एक सादे समारोह में ब्रह्माकुमारी ओम राधे के चित्र पर फूल अर्पित कर क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी, सविता दीदी और किरण दीदी ने श्रद्घासुमन अर्पित किए। उन्होंने मातेश्वरी जी के जीवन से सम्बन्धित संस्मरण सुनाकर सभी को उनके द्वारा बतलाए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने बतलाया कि मातेश्वरी जी वात्सल्य की मूर्ति होने के साथ ही सर्व गुणों से सम्पन्न थी। सभी उन्हें माँ कहकर पुकारते थे। उनका जीवन अत्यन्त आदर्श होने के कारण सभी के लिए प्रेरणादायी है। उन्होंने एक माँ की तरह से ब्रह्मावत्सों की पालना की। उनके जीवन में अपनाए गए सिद्घान्त आज संस्था के लिए प्रमुख सूत्र बन चुके हैं। जिसके आधार पर संस्था का संचालन किया जाता है। मातेश्वरी जी ने २४ जून को अपने पार्थिव शरीर का त्याग किया था। तब से ही उनकी पुण्यतिथि पर विशेष आयोजन किया जाता है।

इससे पहले मातेश्वरी जी की पुण्य स्मृति में परमपिता परमात्मा शिवबाबा को भोग स्वीकार कराया गया। जिसे बाद में सभा में उपस्थित सभी लोगों में प्रसाद के रूप में वितरित किया गया। इस अवसर पर उनके प्रवचनों से लिए गए प्रेरणादायक स्लोगन को अलग-अलग वरदान के रूप में प्रदान किया गया। जिसे प्राप्त कर सभी ने उसी वरदान के अनुरूप पुरूषार्थ करने का सकंल्प किया।

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