Brahma Kumaris Pay Loving Tribute to Dadi Janki, Chief of the Brahma Kumaris, Messages from President and PM of India

Mount Abu ( Rajasthan ): Rajyogini Dr. Dadi Janki, Chief of the Brahma Kumaris, passed away at 2 am in Global Hospital, Mount Abu, on Friday, 27th March 2020.

Amidst great love and peace, Dadi Janki was given farewell by the members of the BK Divine family at Global Hospital, Pandav Bhawan, Gyansarovar and her final rites were performed in the ground in front of the Conference Hall in Shantivan.

Dadi Ratanmohini, Joint Head of the Brahma Kumaris, speaking at the cremation ground said that Dadi Janki was an exemplary figure who fully implemented the teachings of the Supreme Soul.  She always tried to impart these teachings to anyone who came in contact with her. She considered the whole world her family, and gave love and peace to all. She never cared for her bodily comfort while serving the people.

BK Nirwair, Secretary General of the Brahma Kumaris, in his message, acknowledged the tributes of all prominent personalities for Dadi Janki. He also acknowledged the services of the officers of administration who oversaw the last rites. He said that the more we connect with the Supreme Soul, the closer we will be to Dadi Janki. “Vishwa ki Dadi” (Dadi who belonged to the whole world) is now free from the responsibilities of maintaining the body, and rests with her eternal Companion. He read out the message of Dadi Gulzar, saying that she wished peace and eternal companionship of the Supreme for Dadi Janki. He also acknowledged the services of BK Hansa, in caring lovingly for a valuable Spiritual leader.

BK Brij Mohan, Additional Secretary General of the Brahma Kumaris,  recounted his last visit to Dadi Janki at Global Hospital.  He found her in a very peaceful state, beyond the effects of medical equipment and medicines. She was responding to BK Hansa, her personal caretaker and companion.  She radiated tranquility.  The power of her yoga was exemplary.  She was a unique woman Spiritual leader who met leaders of all fields from all over the world.

Dr. Ravindra Goswami, SDM, Mount Abu; BK Munni, General Manager of the Brahma Kumaris; BK Jayanti, European Director of the Brahma Kumaris; and BK Sudesh from Germany, also expressed their heartfelt condolences to Dadi Janki for her tireless services for 104 years to the whole world.

Ramnath Kovind, Honorable President of India in his tweet message, expressed deep sorrow on hearing the news about Dadi Janki.  Her contribution in the fields of spirituality, social welfare and women empowerment is invaluable. He expressed solidarity towards her many followers.

Narendra Modi, Honorable Prime Minister of India in his condolences said that she served the society with diligence and toiled to bring a positive difference in the lives of others. “Her efforts towards empowering women were noteworthy,” he expressed in a tweeted message.

Governors, Chief Ministers of different states of the country and many prominent personalities sent their condolences on the passing away of Dadi Janki.

About Dadi Janki:

Born as Janki Kriplani on 1st January 1916 in Sindh, Pakistan, she joined Brahma Kumaris sometime around 1937. After independence [of India, in 1947], she came to Mount Abu with Dada Lekhraj, the founder father of the Brahma Kumaris.  She traveled all over India to impart spiritual education. She visited London in 1974 to set up Spiritual services there. She helped set up the first European Brahma Kumaris Center in London.

In 1978, Dadi Janki was declared the most stable mind in the world by the scientists of the Medical and Science Research Institute at the University of Texas, USA. In 1997, a charitable trust, the Janki Foundation for Global Healthcare, was opened in London.  In 2004, she was awarded the Grand Cordon of the first order of Al Istiklal (medal of independence) by HM King Abdullah of Jordon for her humanitarian services to the world. In August 2007, she became the Chief Administrator of the Brahma Kumaris.  In 2015, she was appointed as the Brand Ambassador of Swachh Bharat Mission (Clean India Mission). She has also published many books, such as Wings of Soul and Pearls of Wisdom.

Born in 1916 in Hyderabad, Sindh, now in Pakistan, Dadi Janki dedicated her life to spiritual service at the age of 21 after coming into contact with the Brahma Kumaris.

In 1970, the institution sent her to London, where she served for 35 years, expanding the institution’s services to more than 100 countries.

Dadi Janki became head of the Brahma Kumaris in 2007 after the passing away of the previous head of the organisation, Dadi Prakashmani.

Even at an advanced age, Dadi Janki maintained a busy schedule, which began at 4 am with meditation and included spiritual study and meetings with visitors.

During the year 2019, Dadi set a record of sorts by travelling about 72,000 kilometres in India and 10 other countries.

The Brahma Kumaris, which is active in 140 countries, has more than 8,000 centres run by about 46,000 dedicated women members. Over 20 lakh people all over the world regularly benefit from its spiritual teachings and other services aimed at creating a value-based society.

Her Slogan was “Sachchai, Safai, Saadgi” (Honesty, Cleanliness and Simplicity).

News in Hindi:

ब्रह्माकुमारीज संगठन की मुख्य प्रशासिका दादी जानकी की देह पंच तत्वों में हुई विलीन
स्वच्छ भारत मिशन की थीं ब्रांड एंबेसेडर


माउंट आबू, 27 मार्च। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी डॉ. जानकी जी ने शुक्रवार अलसुबह दो बजे किया अव्यक्तारोहण। दादी जानकी के अव्यक्तारोहण से भारत समेत विश्वभर में शोक की लहर छा गई।  46 हजार ब्रह्माकुमारी बहनों की अलौकिक मां,12 लाख भाई-बहनों की प्रेरणापुंज दादी का साथ हमेशा-हमेशा के लिए छूट गया।  भौतिक देह हुई पांच तत्वों में विलीन। योग शक्ति की मिसाल, अद्भुत, अद्वितीय, अविश्वसनीय व्यक्तित्व की धनी राजयोगिनी दादी डॉ. जानकी ने 27 मार्च (शुक्रवार) को अलसुबह दो बजे माउंट आबू के ग्लोबल अस्पताल में अंतिम सांस ली।
ब्रह्माकुमारी संगठन की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी के अनुसार दादी जानकी 91 वर्ष की उम्र में वर्ष 2007 में संस्थान की प्रशसिका नियुक्त की गईं थीं। दादी के कुशल मार्गदर्शन में दुनियाभर के देश विदेशों में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के सेवाकेंद्रों का संचालन किया जा रहा था। दादीजी की अथक मेहनत, त्याग-तपस्या के चलते भारतीय पुरातन संस्कृति आध्यात्म व राजयोग मेडिटेशन का संदेश उन्होंने विश्व के कोने-कोने में पहुंचाया।
सवेरे ग्लोबल अस्पताल से पांडव भवन पार्थिव शरीर को ले जाया गया, पांडव भवन में शांति स्तंभ, हिस्ट्री हॉल, बाबा का कमरा व तपस्यास्थली बाबा की कुटिया चारों धाम की यात्रा कराई गई। पांडव भवन से ज्ञान सरोवर ले गये। जहां सभी ने दादी के अंतिम दर्शन किये। ज्ञान सरोवर से शांतिवन के लिए रवाना। शांतिवन में अंतिम दर्शनों के लिए तपस्या धाम के सामने उनकी पाथर््िाव देह रखी गई। जहां से शक्ति भवन होते हुए कॉन्फं्रेस हॉल के बगीचे में संगठन की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहनी, राजयोगिनी दादी पूर्णशांता, ज्ञान सरोवर निदेशिका राजयोगिनी डॉ. बीके निर्मला, कार्यक्रम निदेशिका बीके मुन्नी बहन, संगठन महासचिव बीके. निर्वैर, अतिरिक्त सचिव बीके बृजमोहन आनंद, मीडिया प्रभाग अध्यक्ष बीके करूणा, यूरोप सेवाकेंद्रों की प्रभारी बीके जयंती बहन, जर्मनी सेवाकेंद्रों की प्रभारी बीके सुदेश बहन, ग्लोबल अस्पताल निदेशक डॉ. प्रताप मिढ्ढा, बीके मृत्युजंय, बीके भरत, बीके भूपाल आदि की देखरेख में अंतिम संस्कार कर दिया गया।
इन लोगों ने भेजे संवदेना संदेश
दादी जानकी के अव्यक्तारोहण पर देश व विदेशों के राजनायिकों ने संवेदना संदेश भेजे। जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राज्यपाल कलराज मिश्र, द्रौपदी मुर्म समेत करीब आधा दर्जन राज्यपालों, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विजय रूपाणी समेत आधा दर्जन मुख्यमंत्रियों, विभिन्न प्रदेशों के पूर्व मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय व राज्यों के ढाई दर्जन से अधिक मंत्रियों, नेपाल समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों से लेकर धार्मिक संगठनों प्रमुखों ने दादी जानकी के देहावसान पर गहरी संवदेना व्यक्त की।
दादीजी का जीवन परिचय
संगठन के महासचिव बीके निर्वैद के अनुसार दादी जानकी का जन्म 1916 में तत्कालिक भारत हैदराबाद सिंध प्रांत में हुआ। 1970 में पहली बार विदेश सेवा पर आध्यात्म का संदेश लेकर निकलीं। 2007 में ब्रह्माकुमारीज की मुख्य प्रशासिका के रूप में संभाली संगठन की कमान। 100 देशों में अकेले पहुंचाया राजयोग मेडिटेशन व आध्यात्म का संदेश, 21 वर्ष की आयु में संगठन से समर्पित रूप से जुड़ीं, 12 लाख से अधिक भाई-बहन वर्तमान में संगठन से जुड़े हैं, 14 वर्ष तक की थी गहन योग-साधना, 80 फीसदी चीजें उम्र के आखिरी पड़ाव में भी रहती थीं याद।104 वर्ष की उम्र के इस पड़ाव पर भी वे 12 घंटे जन की सेवा में सक्रिय रहती थीं। साथ ही अलसुबह 4 बजे ब्रह्ममुहूर्त में जागरण के साथ ध्यान-साधना उनकी दिनचर्या का हिस्सा था। हमेशा युवाओं जैसा उत्साह देखने को मिलता था। साथ ही 80 फीसदी चीजें मौखिक याद रहती थीं।
लोगों के दु:ख-दर्द देख लिया समाज परिवर्तन का दृढ़ संकल्प
अविभाज्य भारत के हैदराबाद सिंध प्रांत में 1916 में जन्मी दादी जानकी ने मात्र चौथी कक्षा तक ही पढ़ाई की थी। भक्ति भाव के संस्कार बचपन से ही मां-बाप से विरासत में मिले। लोगों को दु:ख, दर्द, तकलीफ, जातिवाद व धर्म के बंधन में बंधे देख आपने अल्पायु में ही समाज परिवर्तन का दृढ़ संकल्प किया। साथ ही अपना जीवन समाज कल्याण, समाजसेवा, विश्व शांति के लिए अर्पण करने का साहसिक फैसला कर लिया। माता-पिता की सहमति के बाद 21 वर्ष की आयु में आप ओम् मंडली (ब्रह्माकुमारी•ा का पहले यही नाम था) से जुड़ गईं।  ब्रह्माकुमारी•ा के संस्थापक ब्रह्माबाबा के नेतृत्व में आपने 14 वर्ष तक गहन तपस्या की।
मोस्ट स्टेबल माइंड इन द व्ल्र्ड
मीडिया निदेशक करुणा के अनुसार दादी जानकी के नाम विश्व की सबसे स्थिर मन की महिला का वल्र्ड रिकार्ड भी है। अमेरिका के टेक्सास मेडिकल, साइंस इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिकों की ओर से परीक्षण के बाद दादी को मोस्ट स्टेबल माइंड ऑफ द वल्र्ड वूमन से नवाजा था। उन्होंने योग से अपने को मन इतना संयमित, पवित्र, शुद्ध व सकारात्मक बना लिया था कि वह जिस समय चाहें, जिस विचार या संकल्प पर, जितनी देर चाहें, स्थिर रह सकती थीं। दादीजी को लोग देखकर, सुनकर, मिलकर प्रेरित हुए हैं जो आज एक अच्छी जिंदगी के राही हैं। उनका एक-एक शब्द लाखों भाई-बहनों के लिए मार्गदर्शक व पथप्रदर्शक बन जाता था।
स्वच्छ भारत मिशन की थीं ब्रांड एंबेसेडर
ब्रह्माकुमारीज की पूरे विश्व में साफ-सफाई व स्वच्छता को लेकर विशेष पहचान रही है। देश में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दादी जानकी को स्वच्छ भारत मिशन का ब्रांड एंबेसेडर भी नियुक्त किया था। दादी के नेतृत्व में पूरे भारतवर्ष में विशेष स्वच्छता अभियान भी चलाए गए। व्यापक स्तर पर पौधरोपण किया गया।
दादी जी के जीवन की मुख्य झलकियां
91 वर्ष की उम्र में ब्रह्माकुमारीज संगठन की मुख्य प्रशासिका नियुक्त। 46 हजार ब्रह्माकुमारी बहनों को अलौकिक मां की पालना दी। 104 वर्ष की उम्र में भी अलसुबह ब्रह्यमुहूर्त में 4 बजे से हो जाती थीं ध्यान मग्न । विश्व की सबसे स्थिर मन की महिला का है वल्र्ड रिकार्ड। 103 वर्ष की आयु में की थी 50 हजार किमी की यात्रा। 12 घंटे विश्व सेवा में रहती थीं तत्पर।
60 वर्ष की आयु में गई थीं विदेश
जब लोग खुद को कार्यों के लिए सेवानिवृत्त समझ लेते हैं उस समय 60 साल की उम्र में वर्ष 1970 दादी जानकी पहली बार विदेशी जमीं पर मानवीय मूल्यों व आध्यात्मिकता का बीज रोपने के लिए निकलीं।  दादी ने सबसे पहले लंदन से वर्ष 1970 में ईश्वरीय संदेश की शुरुआत की। वर्ष 1991 में कई एकड़ क्षेत्र में फैले ग्लोबल को-ऑपरेशन हाऊस की स्थापना की गई। धीरे-धीरे यह कारवां बढ़ता गया, यूरोप के देशों में आध्यात्म का शंखनाद हुआ। दादी के साथ हजारों की संख्या में बीके भाई-बहनें जुड़ते गए। दादीजी की कर्मठता, सेवा के प्रति लगन, अथक परिश्रम का ही चमत्कार है कि अकेले विश्व के सौ देशों में भारतीय प्राचीन संस्कृति आध्यात्मिकता व राजयोग का संदेश पहुंचाया। बाद में यह कारवां बढ़ता गया।
37 साल रहीं विदेश में
दादी जानकी ने वर्ष 1970 से वर्ष 2007 तक 37 वर्ष विदेश में अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद वर्ष 2007 में संस्था की तत्कालीन मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि के अव्यक्तारोहण होने के बाद आपको 27 अगस्त २००७ को ब्रह्माकुमारी•ा की मुख्य प्रशासिका नियुक्त किया गया। तब से लेकर आज तक आप संस्था का कुशलतापूर्वक नेतृत्व करते हुए लाखों लोगों की प्रेरणापुंज बनी रहीं।
कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय अवार्डों से नवाजा गया
दादी को विदेश में सेवा के दौरान कई देशों में अंतरराष्ट्रीय अवार्डों से भी नवाजा गया। इसके अलावा भारत में भी कई अवार्ड से पुरस्कृत किया गया। मूल्यनिष्ठ शिक्षा व आध्यात्मिकता में विश्वरभर में सराहनीय योगदान देने पर दादी को वर्ष 2012 में गीतम विश्वविद्यालय, विशाखापट्नम ने डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया।  2005 में अमेरिका की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की ओर से दादीजी को करेज ऑफ कशेन्स अवार्ड से नवाजा गया। जून 2005 में काशी ह्यूमानाटेरियन अवार्ड से नवाजा गया।1996 में दुनिया के 60 से अधिक देशों में बच्चों को सिखलाई जा रही लिविंग वैल्यूज इन एजुकेशन इनिशियेटिव का शुभारंभ यूनिसेफ के साथ मिलकर किया।
जिन्दगी में कभी भी झूठ नहीं बोला
दादी ने कई बार दोहराती थीं कि मुझे ईश्वर और लोगों की दुआओं ने इतना भरपूर किया है कि मैं आज भी पूरी दुनिया का चक्कर लगाकर लोगों के साथ मानवीय मूल्यों को बांटती हृूं। उन्हें नए जीवन जीने की प्रेरणा के लिए प्रेरित करती हूं। आध्यात्मिक राज्य का सूर्य कभी अस्त नहीं होता। मैंने पूरे जिन्दगी में कभी भी झूठ नहीं बोला है। इसी कारण आज मैं स्वस्थ हंू। साथ ही लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने की प्रेरणा देती हूं। कई देशों के प्रतिनिधियों ने मुझे अपने देश की नागरिकता देने की कोशिश की। परन्तु मुझे अपना देश भारत प्यारा है। नागरिकता देने वाले प्रतिनिधियों को भी मैंने भारत में आकर यहां की संस्कृति में घुलने-मिलने के लिए आमंत्रित करती हूं। आज मुझे गर्व है कि लाखों लोगों की जिन्दगी में एक नई रोशनी भरने का जो ईश्वर ने मुझे कार्य दिया था उसे आज भी सफलतापूर्वक कर रही हूं। मुझे यह पूर्ण विश्वास है कि एक दिन पूरे भारत को ही नहीं बल्कि सारे संसार को बदल कर ही छोड़ेंगे।

 

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