Brahma Kumaris Bid Loving Farewell To Rajayogini Dadi Hridayamohini at Her Final Rites

Abu Road (  Rajasthan): The Brahma Kumaris performed the last rites of its Head, Dadi Hridayamohini, at Shakti Bhawan in Shantivan, Abu Road.  All the prominent senior members of Brahma Kumaris were present including Dadi Ratanmohini, Joint Administrative Head of Brahma Kumaris; Dadi Ishu, Joint Administrative Head; BK Nirwair, Secretary General; BK Brij Mohan, Additional Secretary General; BK Mruthyunjaya, Executive Secretary; BK Dr. Nirmala,  Director of Gyansarovar; BK Jayanti, European Director of Brahma Kumaris;  and BK Munni, Program Director of Brahma Kumaris.

Brahma Kumars and Kumaris from all over India and abroad came together to bid a loving farewell to this giant spiritual personality.  The entire Brahma Kumaris family all over the globe watched this ceremony Live, joined together in love for Dadi Hridayamohini.

Dadi Ratanmohini,  Joint Administrative Head of Brahma Kumaris,  said that the Divine through the channel of Dadi Hridayamohini continued to teach us to become perfect beings. Dadi was very peaceful in nature and her line of intellect was so clear that she would be lost in meditation in a second. Her life was an embodiment of purity, divinity and intense tapasya. It is fortunate that we could all gather here for her.

BK Dr. Nirmala, Director of Gyansarovar,  said that Dadi Hridayamohini was the perfect embodiment of the teachings of the Divine.  She will always inspire us to progress on the Spiritual path and become one with God.

BK Munni, Program Director of Brahma Kumaris,  said that Dadi Hridayamohini was and will be the embodiment of Divine for us. She expressed gratitude towards her for being our link with the Divine for 5 decades.

BK Dr. Banarasi Lal Shah of Everhealthy Hospital Shantivan, expressed gratitude towards the medical staff that took such good care of Dadi Hridayamohini.

BK Dr. Pratap, Director of Global Hospital, said that transforming ourselves to become perfect will be our real tribute to Dadi.

BK Jayanti, Director of Brahma Kumaris in Europe and the Middle East, shared the love and sustenance she received from her childhood through Dadi Hridayamohini. Her every action was ideal, an example for all. She was a powerful angel of Divinity and gave that experience to whomever she interacted with.

Dr. Deepesh Agarwal, Dr. Prasanna, Dr. Akaash Shukla, Dr. Nipun Gangwala, Dr. Manoj Chawla, Dr. Jigar Desai – Doctors from Saifee Hospital, Mumbai, shared their experience, how fortunate they felt treating a divine and great soul like Dadi. In spite of sickness, there was no feeling nor trace of pain, sorrow nor suffering on Dadi’s face.

BK Nirwair,  Secretary General of Brahma Kumaris,  bid loving farewell to Dadi Hridayamohini and co-ordinated the event in an excellent way.

A special Bhog Ceremony,  or consecrated food offering to the Divine,  for Dadi Hridayamohini was held later in the Diamond Hall, which was attended by a huge gathering of Brahma Kumars and Kumaris from India and abroad.

News in Hindi:

पंचतत्व में विलीन हुईं राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी
– हजारों भाई-बहनों ने शामिल होकर दी अंतिम विदाई
– अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, महासचिव बीके निर्वैर और दादीजी की निज सचिव बीके नीलू बहन ने दी मुखाग्नि
– ब्रह्माकुमारीज के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में किया गया अंतिम संस्कार
– राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दुख जताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की
– विश्व के कई देशों से भी पहुंचे भाई-बहन
– 11 मार्च को सुबह 10.30 बजे मुंबई के सैफी हॉस्पिटल में ली थी अंतिम सांस

13 मार्च, आबू रोड (राजस्थान): राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गईं। अंतिम संस्कार सुबह 10 बजे ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय आबूरोड, शांतिवन में किया गया। अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, महासचिव बीके निर्वैर और दादीजी की निज सचिव बीके नीलू बहन ने उन्हें मुखाग्नि दी।
बता दें कि दादी हृदयमोहिनी ने 11 मार्च को सुबह 10.30 बजे मुंबई के सैफी हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली थी। इसके बाद उनके पार्थिक शरीर को एयर एंबुलेंस से शांतिवन लाया गया, जहां देश-विदेश से आने वाले लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। हजारों की संख्या में मौजूद बीके भाई-बहनों ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए दादीजी की शिक्षाओं को जीवन में उतारने, उनके बताए कदमों पर चलने और उनके समान योग-साधना कर खुद को परिपक्व बनाने का संकल्प लिया।
अंतिम संस्कार के बाद दादीजी की याद में परमपिता शिव परमात्मा को भोग स्वीकार कराया गया। दादीजी की पार्थिक देह को देश-विदेश से आने वाले लोगों के अंतिम दर्शन के लिए शांतिवन के ही कॉन्फ्रेंस हॉल में रखा गया था। जहां से शनिवार सुबह 9 बजे अंतिम यात्रा निकाली गई। इस दौरान ऊं धुन करते हुए हजारों भाई-बहन पीछे चल रहे थे। अंतिम संस्कार के दौरान संस्थान के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, छग के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व राज्यपाल के द्वारा भेजे गए शोक संदेश को पढ़कर सुनाया।
इस मौके पर संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन, प्रबंधिका बीके मुन्नी बहन, मुंबई गामदेवी की बीके नेहा बहन, ग्लोबल हॉस्पिटल के डायरेक्टर बीके प्रताप मिड्ढा, बीके बनारसी लाल शाह ने भी दादी के साथ के अपने अनुभव बताते हुए श्रद्धांजली अर्पित की।

12 लाख भाई-बहन और 46 हजार बहनों की थीं आदर्श-
ब्रह्माकुमारीज से देश-विदेश में जुड़े 12 लाख भाई-बहनों और 46 हजार समर्पित ब्रह्माकुमारी बहनों की दादी आदर्श थीं। उनके द्वारा उच्चारित एक-एक शब्द लाखों लोगों के जीवन को बदलने, उसे अपनाने और आगे बढ़ाने के लिए वरदानी बोल होते थे। अस्वस्थ होने के बाद भी दादीजी अंतिम समय तक लोगों के लिए प्रेरित करतीं रहीं।

140 देशों में जारी है योग-साधना-
दादीजी के देवलोकगमन के बाद से ब्रह्माकुमारीज संस्थान के देश-विदेश में स्थित सेवाकेंद्रों पर अखंड योग-साधना का दौर जारी है। सभी योग के माध्यम से दादीजी को अपने शुभ बाइव्रेशन और श्रद्धांजली अर्पित कर रहे हैं।

ड़ॉक्टर बोले- दादी के चेहरे पर कभी दर्द की फीलिंग नहीं देखी
मुंबई से आए सैफी हॉस्पिटल में दादीजी का इलाज करने वाले डॉक्टर्स डॉ. दीपेश अग्रवाल, डॉ. प्रसन्ना, डॉ. आकाश शुक्ला, डॉ. निपुन गंगवाला, डॉ. मनोज चावला, डॉ. जिगर देसाई ने अपने-अपने अनुभव बताते हुए कहा कि हम खुद को भाग्यशाली समझते हैं कि दादीजी जैसी दिव्य और महान आत्मा का इलाज करने का मौका मिला। हमारे जीवन का यह पहला अनुभव रहा है कि किसी मरीज के इलाज के दौरान दिव्य अनुभूति हुई। जैसे ही दादीजी के रूम में जाते थे तो मन को शक्तिशाली फीलिंग होती थी। बीमारी के बाद भी दादीजी के चेहरे पर कभी दर्द, दुख या उदासी की फीलिंग नहीं देखी। दादीजी के साथ के अनुभव को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।

दो दिन से रात-दिन जारी रहा अखंड योग-
मुंबई में दादी जी के देवलोकगमन की सूचना के बाद से ही शांतिवन में योग-साधना शुरू हो गई। कॉन्फ्रेंस हॉल में गुरुवार शाम को दादीजी की पार्थिक देह को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था जहां बीके-भाई बहनों ने रात-दिन अखंड योग कर दादी को योग के माध्यम से अपने शुभ बाइव्रेशन और श्रद्धांजली अर्पित की।

दादी के साथ सखी की तरह रही
शुरू से ही दादी हृदयमोहिनी के साथ सखी की तरह रही। दादी का बचपन से ही शांत और गंभीर स्वभाव था। उनकी बुद्धि की लाइन इतनी क्लीयर थी कि कुछ ही सेकंड में वह ध्यानमग्न हो जाती थीं। उनका जीवन दिव्यता, पवित्रता और योग-साधना के प्रति अद्भुत लगन का मिसाल था।
– दादी रतनमोहिनी, अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका,  ब्रह्माकुमारीज

हम सभी को परमात्मा पिता से मंगल मिलन कराने वालीं, परमात्म की संदेशवाहक दादी व्यक्त रूप से जरूर हम सबके बीच नहीं रहीं लेकिन उनके द्वारा दी गईं अव्यक्त शिक्षाएं सदा भाई-बहनों का मागर्दशन करतीं रहेंगीं।
– बीके निर्वैर, महासचिव, ब्रह्माकुमारीज

दादीजी का प्यार, स्नेह, दुलार और वात्सल्य बचपन से ही मिला। दादीजी का एक-एक कर्म आदर्श कर्म होता था। उनके साथ रहने पर ऐसी अनुभूति होती थी कि जैसे कोई दिव्य फरिश्ता के साथ हैं। उन्होंने योग-तपस्या से खुद को इतना शक्तिशाली बना लिया था कि उनके संपर्क में आने वाले हर एक भाई-बहन को अनुभूति होती थी।
– बीके जयंती, यूरोपीय देशों में ब्रह्माकुमारीज की निदेशिका
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दादी हृदयमोहिनी के जीवन की मुख्य शिक्षाएं-
– परमात्मा एक हैं। हम सब उनकी संतान है आपस में भाई-बहन हैं। जब इस भाव में रहेंगे तो संसार की ज्यादातर समस्याएं अपनेआप खत्म हो जाएंगी।
– जब मैं कोई कार्य कर सकती हूं तो आप भी कर सकते हैं। बहनों से कहती थीं कि आप तो दुर्गास्वरूपा, शक्तिस्वरूपा हो। आपको इस दुनिया में नई राह दिखानी है।
– दादी कहती थीं कि परेशान होने के पांच शब्द हैं- पहला है क्यों… क्यों कहा और व्यर्थ संकल्पों की क्यूं चालू हो जाती है, इसने ये कहा, उसने ये कहा और मन में व्यर्थ संकल्प चालू हो जाते हैं। क्योंकि जो बीत चुका वह हमारे हाथ में नहीं है। क्यूचर ही हमारे हाथ में है। क्यूं, क्या, कौन, कब और कैसे… ये पांच शब्द हमें परेशान करते हैं। खुशी के जाने के यह पांच शब्द ही हैं।
– सुखदाता शिवबाबा हैं, उन्हें याद करने से हमारे जीवन में सुख आता है। जब हम लाइट का स्वीच ऑन करते हैं तो सेकंड में अंधकार दूर होकर प्रकाश आता है। ऐसे ही जब हम अपने मन के तार शिवबाबा से जोड़ते हैं तो हमारे मन का अंधकार दूर हो जाता है और मन प्रकाशित अर्थात् शक्तिशाली बन जाता है।
– हर कार्य में सफल होने का एक ही मूलमंत्र है-दृढ़ता। यदि जीवन में दृढ़ता है तो सफलता निश्चित है, हुई पड़ी है। इसलिए प्लानिंग करके उसे पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्प करें। मेरे जीवन का अनुभव है कि जो भी कार्य किया है वह दृढ़ता के साथ किया है और सदा सफलता भी मिली है। दृढ़ता रूपी चाबी को हमेशा संभालकर रखें।

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