Value Education Program by Brahma Kumaris Gwalior

Gwalior ( Madhya Pradesh): The Brahma Kumaris of Gwalior held a program at the Vivekanand Needam center for children of need from the labor class, focusing on character building and value education.  At Vivekanand Needam, these children are educated free of cost. The center has five branches with 200 students, who are taught at their homes. The Organization believes that to make Bharat World Teacher again, every child, especially those from poor and needy backgrounds, need to be educated.  BK Prahlad, Motivational Speaker and Rajyoga Teacher, participated in this program.  Mr. O. P. Dixit, Retired Teacher, is the guide of this branch. Mr. Brajesh Shukla, Government Teacher; Mr. Manoj Pandey, Retired Armyman; along with other social workers, were also present.

BK Prahlad, speaking about character building and value education, said that we must respect our parents and teachers.  We are all essentially eternally conscious souls from within.  We must focus on doing good deeds. Mind, intellect and tendencies decide our actions.  Hence, we must always try to think positively.  Focusing the mind on the Supreme Soul can concentrate our life energies.  He taught the children about Rajayoga Meditation and encouraged them to study well.

Thereafter, BK Prahlad along with Dr. S.P Batra, Anil Kumar Panjwani and other social workers distributed sweets, educational material, mats, warm caps, shoes and masks to the school children.

Mr. Brajesh Shukla gave the vote of thanks.

News in Hindi:

ग्वालियर:   गरीब मजदूर पाठशाला शाखा विवेकानंद नीडम में बच्चो के लिए चरित्र निर्माण और मूल्य शिक्षा पर आधारित एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया | जहां पर गरीब मजदूर भाइयों के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है | कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज संस्थान से मोटिवेशनल ट्रेनर एवं राजयोग प्रशिक्षक ब्रह्माकुमार प्रह्लाद भाई, समाज सेवक एवं वरिष्ठ चिकित्सक श्री एस. पी. बत्रा जी एवं समाज सेवक श्री अनिल कुमार पंजवानी जी इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए |

गरीब मजदूर पाठशाला की वर्तमान में 5 शाखाएं चल रही हैं जिनमें लगभग 200 बच्चों को जो कि गरीब मजदूर भाइयों के बच्चे हैं , उनको उनके घर पर ही पढ़ाते हैं इस कार्य में मार्गदर्शक एवं इस केंद्र के संरक्षक आदरणीय ओपी दीक्षित जी (सेवानिवृत शिक्षक) है, एवं साथ ही साथ आदरणीय ब्रजेश शुक्ला (शासकीय शिक्षक), आदरणीय मनोज पांडे जी (सेवानिवृत फौज), श्री भरत सिंह जी, श्री चौरसिया जी, श्री कपिल झा जी एवं साहिल खान और मृदुल शर्मा स्वयंसेवक के रूप में कार्य कर रहे हैं |

शाखा का यह मानना है की भारत को विश्व गुरु बनाना है तो भारत के प्रत्येक बच्चे का शिक्षित होना जरूरी है विशेषकर गरीब मजदूर भाइयों के बच्चों का , इसलिए इन * गरीब मजदूर भाइयों के बच्चों को उनके घर पर ही जाकर पढाया जाता हैं| विध्यालय का कार्य पूर्ण* करने के बाद यह और इनके साथी स्वयंसेवक इस कार्य को करते हैं इनका यह लक्ष्य हैं कि भारत पुनः विश्व गुरु बने और भारत का *प्रत्येक बच्चा शिक्षित हो चाहे वह बच्चा गरीब *का हो या *अमीर का *

 “बच्चा बूढ़ा हो या जवान * पढ़ा लिखा होगा इंसान * तभी होगा मेरा भारत महान

कार्यक्रम में सभी बच्चो को चरित्र निर्माण एवं नैतिक शिक्षा के बारे में बताते हुए बी. के. प्रह्लाद भाई ने कहा कि – हमें हमेशा अपने माता पिता और गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए साथ ही उनकी आज्ञा का पालना करना चाहिए| जैसे पतंग धागे से बंधी होने पर अधिक उचाई पर जाती है और यदि धागा टूट जाये तो पतंग नीचे आ जाती है ठीक इसी प्रकार से हमारा जीवन अनुशासित होगा और हम अपने बड़ों का सम्मान करेंगे तो हम जीवन में बहुत आगे जा सकेंगे |

साथ ही सभी को स्वयं का सत्य परिचय कराते हुए कहा कि हम सब एक चेतन शक्ति है जिसको आत्मा, रूह या प्राण कहा जाता है| आत्मा मस्तक पर भ्रकुटी के मध्य चमकते हुए सितारे के रूप में विराजमान होती है| जब तक आत्मा शरीर के अन्दर होती है शरीर कार्य करता है | आत्मा अजर- अमर- अविनाशी है | कर्मो के अनुसार आत्मा इस सृष्टी रुपी रंग मंच पर अपना अभिनय करती है| इसलिए हमें हमेशा अच्छे कर्म ही करने चाहिए | आत्मा के अन्दर तीन शक्तियां होती है, जिसके द्वारा वह कार्य करती है – मन, बुद्धि और संस्कार | मन का कार्य है सोचना, बुद्धि का कार्य है निर्णय करना और मन और बुद्धि के द्वारा हम जो कर्म करते है वह हमारी आदत और संस्कार बन जाते है | इसलिए हमें हमेशा सकारात्मक ही सोचना चाहिए, क्योकि सोच का हमारे जीवन पर 100 प्रतिशत असर पड़ता है |  हम सब आत्माओं के पिता परमात्मा शिव है जो कि निराकार ज्योति बिंदु स्वरूप है  | उनको याद करने से हम अपनी एकाग्रता को बढा सकते है, साथ ही सभी बच्चों योग एवं ध्यान का जीवन में को महत्व बताते हुए राजयोग ध्यान की गहन अनुभूति भी कराई और और बच्चों को खूब पढ़ने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया |

तत्पश्चात श्री डॉ. एस.पी. बत्रा, श्री अनिल कुमार पंजबानी एवं प्रह्लाद भाई ने समाजसेवियों के सहयोग से बच्चों को मिठाई, शैक्षणिक सामग्री एवं दरी, मौजे, गर्म कैप एवं मास्क का वितरण किया|

कार्यक्रम के अंत में ब्रजेश शुक्ला जी ने सभी का आभार व्यक्त किया |

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