Faridkote (Punjab): Jail can become a perfect place for transformation of the soul, as the prison provides scope for introspection of the evil which provokes a person to commit a crime, said BK Bhagavan from Mount Abu, Rajasthan.
Addressing inmates of Faridkote Central jail, BK Bhagaban, who figures in the India Book of Records by teaching spiritual knowledge to inmates of 800 jails in India, said confinement provides the chance to inculcate positive attributes. Vices like lust, anger, greed, ego and hatred are enemies of man. One can escape the vicious cycle of the evils by imbibing spiritual knowledge and virtues like tolerance, humility, peace, brotherhood and love.
800 जेलो (कारागृहो) में नैतिकता का पाठ बढ़ाकर रिकार्ड बनानेवाले भगवान भाई बोले
कारागार परिवर्तन का केंद्र है -भगवान भाई
फरीदकोट 19 फरवरी यह कारागृह नही बल्कि अपने आपको सुधारने के लिए सुधार गृह है। इस सुधार गृह के एकांत के वातावरण में जिस भूलो के कारण हामरे से अपराध हुआ है व भूले हुई है उसमें सुधार लाना है। केन्द्रीय कारागृह स्वयं को परिवर्तन करने की प्रवृति रखनी है। उक्त उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मांउट आबू राजस्थान से आये राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे। वे केन्द्रीय कारागृह में बंदीस्त कैदीयों को संस्कार परिवर्तन एवं व्यवहार शुद्धि के विषय में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। भगवान भाई ने कहा कि कारागृह में स्वयं का परिवर्तन कर गलतियों को महसूस करने के लिये सोचो कि मैं इस संसार में क्यो आया हूँ, मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है ? भगवान ने मुझे क्या करने के लिये भेजा था मैं आकर क्या कर रहा हूँ।ऐसे बातों को चिन्तन करने से महसूस करने से स्वयं के संस्कार व व्यवहार में शुद्धि आयेगी। उन्होने बताया कि अपने गलतियों को महसूस करअपने स्वयं का परिवर्तन कर उन्होने बताया कि कोई भी मनुष्य जन्मतः अपराधी नही होता है जब वह इस संसार में आता है उसे गलत संग ,गलत खान पान, गलत शिक्षा या व्यसन नशे के अधीन होता है तो वह अपराधी बन जाता है। भाई जी ने बताया कि काम, क्रोध,लोभ, मोह, अहंकार,ईष्या, नफरत यह मनोविकार की मानव के दुशमन है। इन मनोविकारों को आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा परिवर्तन कर जीवन में सहन शीलता, नम्रता, शांति, भाईचारा, आपसी प्रेम जैसे सद्गुणो को अपनाने से नैतिक मूल्यों से हम फिर से सही इंसान बन सकते है। भगवान भाई ने बताया कि जीवन की कुछ समस्याऐ तो हमारे पिछले जन्मो के कर्मों के कारण भी आती है। उसे
समझ कर हमें उसे शांति से निपटना है कर्मो से ही व्यक्ति कंगाल या महान बनता है। आध्यात्मिक ज्ञान के द्वारा हम कर्मो को महान बना। सकते है।। स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेन्द्र के बी.के पूनम ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि हम अपने आपको भूल गये ,पिता परमात्मा को भूल गये जिसके कारण हमारे से भूले होती गई। वास्तव में हम सभी आत्मा–आत्मा भाई -2 है। एक शिव परमपिता परमात्मा की संतान है। जैसा हम कर्म करते है वैसा उसका हमें फल भोगना पड़ता है। इन बातों को भूलने से ही भूले होती है। उन्होने बताया कि अपने जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान को महत्व दे तब भविष्य में ऐसी भूले नही होगी। उन्होने बताया कि भगवान भाई ने भारत के 800 जेलो में । नैतिकता का पाठ पढ़ाकर इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में अपना नाम दर्ज किया है।
बी के जगदीश भाई भी उपस्थित थे।
जेल अधीक्षक ललित कोहली जी ने भी अपना संबोधन दिया कहा की ब्रह्माकुमारीज द्वारा सुने बातो को अमल में लाकर अपना जीवन अपराध मुक्त बनाना
कार्यक्रम के अंत में मेडीटेशन भी कराया।