Only yoga can bring us back peace of mind : Deputy Chief Minister of UP Inaugurates Yoga Mahotsav

Lucknow ( Uttar Pradesh ): On International Yoga Day, “Yoga Mahotsav (Festival)” was organized by Brahma Kumaris, Lucknow.  The program was inaugurated by Brijesh Pathak, Deputy Chief Minister of Uttar Pradesh.  In his inaugural address after lighting the lamp, he said that today’s man has many facilities and comforts, but his mind is not calm.  Only yoga can bring us back peace of mind. A peaceful mind can build a peaceful personality. Such people will not become the reason for sorrow to animals, nature and human beings, and when they do not give sorrow to human beings, sorrow becomes distant from their lives.
Ravindra Agarwal, Neeta Rana, Kavita Mishra, and Vinod Tiwari were specially present in the program.
After the yoga practice, BK Suman said that Rajyoga is a means of connecting one’s mind with God.
The Assistant Director of the Agriculture Department, Mr. Badri, spoke about the completeness of yoga by the purification of food, mind, and body.
BK Radha said that Rajyoga teaches the art of living life.  If we do work by connecting our mind with the Supreme Soul, then both the soul and the body become healthy through the experiments of yoga, and this is the essence of Raja Yoga.
At the end, a beautiful dance was presented by children.  BK Malti concluded the program by guiding everyone to practice Raj Yoga for 2 minutes.

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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) एवं स्वतंत्रता के 75 में वर्ष के अमृत महोत्सव के अंतर्गत ब्रह्माकुमारीज, लखनऊ द्वारा, “योग महोत्सव” कार्यक्रम का आयोजन किया गया।  कार्यक्रम का उद्घाटन, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री बृजेश पाठक जी ने किया।  दीप प्रज्वलन के पश्चात अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने कहा कि आज के मनुष्य ने तकनीकी रूप से तो अपने आप को बहुत उन्नत बना लिया है लेकिन इसी तकनीक ने उसे अपने जाल में फंसा लिया है। आज मनुष्य के पास सुख सुविधाएं तो बहुत है लेकिन उसका मन शांत नहीं है।  केवल योग ही हमें मन की शांति की ओर पुनः ले आ सकता है।  एक शांत मन ही, शांत व्यक्तित्व का निर्माण कर सकता है।  ऐसा व्यक्ति प्रकृति के किसी भी अंग यथा पशु, पक्षी, कीड़े, पौधे या स्वयं मनुष्य के दुख का कारण नहीं बनता है और जब मनुष्य किसी को दुख नहीं देता तो उसका दुख तो खुद ही दूर हो जाता है। कार्यक्रम में श्री रविंद्र अग्रवाल, श्रीमती नीता राणा, श्रीमती कविता मिश्रा एवं विनोद तिवारी जी विशिष्ट रूप से उपस्थित रहे।

इस विशाल आयोजन में लखनऊ से आए योग साधकों ने मिलकर योगाभ्यास किया।  योगाभ्यास के पश्चात कार्यक्रम पर मंचासीन सुमन दीदी जी ने राजयोग को अपने मन को परमात्मा से संबंध जोड़ने का माध्यम बताया।  कृषि विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर श्री बद्री भाई जी ने अन्न, मन एवं तन तीनों की शुद्धि से ही योग की संपूर्णता बताई।  उन्होंने कहा कि 18वीं शताब्दी तक विश्व की कुल जीडीपी का 56% हिस्सा भारत का था और इसी वजह से भारत को सोने की चिड़िया भी कहा जाता था।  भारत की समृद्धता का कारण, भारत के किसान थे लेकिन आज भारत का किसान तन और मन दोनों ही से दुर्बलता को प्राप्त हो गया है।  भारत की वर्तमान दुर्दशा का बखान के बारे में बताते हुए कहा कि आज भारत में लगभग चार करोड़ 40 लाख कानूनी केस पेंडिंग है।  जब तक हम अन्न,मन और तन तीनों की शुद्धि नहीं करेंगे हम पुनः भारत को स्वर्णिम भारत बना, राम-राज्य की ओर नहीं ले जा पाएंगे।

अंत में राजयोगिनी राधा दीदी जी ने भारत को योगियों की भूमि बताते हुए कहा कि अर्जुन के पास पूर्ण तकनीकी अनुभव होने के बावजूद वह अपने मन के मोह के कारण हार खा रहा था।  ऐसे ही समय पर योगेश्वर श्री कृष्ण ने उनको योग की शिक्षा दे, कर्तव्य करने की प्रेरणा दी।  आज जब हमारा कर्म क्षेत्र युद्ध का मैदान (warship) बन गया है तो उसको पुनः workshop बनाने के लिए योग की आवश्यकता है।  “योगः कर्मस्य कौशलम्” सूत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया, योग वास्तव में कर्म से विमुखता नहीं अपितु कुशलतापूर्वक कर्म करना सिखलाता है।  योग द्वारा मन को शांत करके, शुद्ध मन से किया गए कर्म, शांति और हल्केपन की अनुभूति लेकर आते हैं।  राजयोग जीवन को जीने की कला सिखाता है।  यदि हम अपने मन को परमात्मा से जोड़कर कर्म करते हैं तो हमारे कर्म धन के साथ-साथ मन को भी भरने का कार्य करते हैं। योग के प्रयोगों से जीव और आत्मा दोनों स्वस्थ हो जाते हैं, यही राजयोग का सार है।  उन्होंने बृजेश पाठक जी के माध्यम से सरकार को तन के साथ-साथ मन के स्वास्थ्य की दिशा में प्रयास बढ़ाने की प्रेरणा दी एवं अपने भाई समान पाठक जी योग कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए धन्यवाद दिया।

अंत में बच्चों द्वारा मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया गया।  मालती दीदी जी ने सभी को 2 मिनट राजयोग अभ्यास कराकर  कार्यक्रम का समापन किया।

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