“New Education for A New Age” : Union Education Minister Addresses Webinar on Teacher’s Day

Raipur ( Chhattisgarh ): The Education Wing of the Rajayoga Education and Research Foundation in collaboration with Brahma Kumaris Raipur held a Webinar on Teacher’s Day.  The topic was “New Education for a New Age.” This Webinar was telecast on the YouTube channel of Shanti Sarovar.

Ramesh Pokhriyal Nishank, Union Minister of Education, Government of India, was the Chief Guest of this initiative. Expressing his views, the Honorable minister said that today the whole world is passing through pain and problems.  We can turn these challenges into opportunities by facing them boldly and creating something new.  Keeping our will power strong and cooperating with others is needed in the coronavirus pandemic time.

For the Human Resource Development Ministry, this is an opportunity. We are making online education available to all. The Brahma Kumaris Organization is also working to bring in a new age with new creation. This Organization talks about creating a new age through education.  We need an education that ensures the welfare of all. One that leads from ignorance to light, through good values. Now a new Education Policy has been launched to make Bharat great again.

Dr. Premsai Singh, Education Minister of Chhatisgarh, said that today many big schools have commercialized education for their profit. Education should not be aimed at survival only but should impart good values as well.  He congratulated the Brahma Kumaris Organization for imparting value-based education to people.  Such efforts will lead to a better society.

BK Mruthyunjaya, Executive Secretary of Brahma Kumaris and Head of the Education Wing, said that a teacher’s role is very important in the creation of a value-based spiritual society.  Today many malpractices have come to stay in the Education sector. The Brahma Kumaris Organization is working to impart divine character through Spiritual Education to the people.

Dr. Kesari Lal Verma, VC of Pandit Ravishankar Shukla University, said that today the world is transforming rapidly.  Hence, education must change accordingly.  A balance needs to be achieved between the ancient spiritual education of India and scientific education.

BK Sheilu, Senior Rajyoga Teacher and Vice Chairperson of Education Wing, in her views talked about the need for improvement in education today. Education should be able to help us get rid of our negative tendencies.  A teacher’s life should be inspirational.  Only spiritual education can lead to real transformation.  This should be imparted right from childhood.

BK Kamla, Head of Brahma Kumaris in Chhattisgarh, said that loss of good values in society is very apparent today. Hence the need for spiritual education is very huge.

Swapril Kushtarpan and child artist Sharda offered lovely music.  Dance performances by child artists Parineeta and Padmini were also held. BK Shweta coordinated this session.

News in Hindi:

चुनौतियों को अवसर में बदल कर उपलब्धियाँ हासिल करने का समय…
– रमेश पोखरियाल निशंक, केन्द्रीय शिक्षा मंत्री

रायपुर: केन्द्रीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि आज पूरा विश्व दुख और संकट से होकर गुजर रहा है। इस संकट की घड़ी में चुनौतियों को अवसर में बदलकर हम उपलब्धियाँ हासिल कर सकते हैं। जब चुनौतियों का मजबूती के साथ सामना किया जाता है और नया सृजन करते हैं तो चुनौती अवसर में बदल जाती है। इस समय कोरोना काल में जरूरत इस बात की है कि व्यक्ति अपने मनोबल को उँचा करके रखे और एक दो का सहयोग करे।

श्री निशंक आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के शिक्षाविद सेवा प्रभाग द्वारा शिक्षक दिवस पर आयोजित वेबीनार में बोल रहे थे। विषय था- नये युग के लिए नई शिक्षा। इस ऑनलाईन वेबीनार का प्रसारण यू्-ट्यूब के शान्ति सरोवर चैनल पर किया गया।

उन्होंने कहा कि मानव संसाधन मंत्रालय के लिए यह अवसर उपलब्धि बनकर आया है। हम आनलाईन शिक्षा को बच्चे बच्चे तक पहुंचा रहे हैं। ब्रह्माकुमारी संस्थान का भी प्रयास है कि नये सृजन के साथ नये सुखद युग की शुरूआत हो। इस संस्थान ने शिक्षा के द्वारा नये युग का निर्माण करने की बात कही है। शिक्षा किसी भी परिवार अथवा समाज की धूरी होती है। तक्षशिला और नालन्दा जैसे संस्थान इस देश में रही हैं। सारी दुनिया के लोग शिक्षा ग्रहण करने के लिए यहाँ आते थे।

उन्होंने कहा कि हमें सबके कल्याण की भावना वाली शिक्षा चाहिए। ज्ञान, विज्ञान और अनुसंधान वाली शिक्षा चाहिए। हर क्षेत्र में शिखर तक पहुंचाने वाली शिक्षा चाहिए। वह शिक्षा चाहिए जो अन्धकार को मिटाकर प्रकाश की ओर ले जाए। वह शिक्षा जो संस्कार दे, विचार दे, वह शिक्षा जो मानव को मानव बनाने के महाअभियान में महत्वपूर्ण योगदान दे। ऐसी शिक्षा हमें चाहिए। अभी हम नई शिक्षा नीति लेकर आ रहे हैं जो समग्र भारत को श्रेष्ठ भारत बनाने में योगदान कर सके।

छत्तीसगढ़ के शिक्षामंत्री डॉ. प्रेम साय सिंह ने कहा कि देश में बड़े-बड़े स्कूल खुल गए हैं लेकिन वह लोग सिर्फ धन कमाने के लिए कार्य कर रहे हैं। फीस भी उनकी उँची होती है। दु:ख की बात है कि पालक भी उन स्कूलों की ओर आकर्षित हो जाते हैं। हमारी सरकार का प्रयास है कि पालकों का शोषण न हो। स्कूलों में शिक्षा सिर्फ नौकरी पाने के लिए न हो अपितु पढ़ाई के साथ नैतिक मूल्यों की भी शिक्षा देने की जरूरत है। शिक्षा के जरिए अच्छे और चरित्रवान नागरिक बनाने का प्रयास हो। हमारी शिक्षा आत्म विश्वास बढ़ाने वाली हो। उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्थान को बधाई देते हुए कहा कि यह संस्थान लोगों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा देकर बहुत अच्छा कार्य कर रहा है। ऐसे ही प्रयासों से बेहतर समाज बन सकेगा।

उन्होंने कोरोना काल में स्कूलों के बन्द होने पर भी अपने प्राणों की परवाह न करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों को नमन करते हुए कहा कि ऐसे महामारी के समय भी वह लोग अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे हैं। बच्चों को शिक्षा के साथ कोरोना से बचने के उपायों की भी जानकारी दी जाए तो हम इस महामारी को देश से निकालने में सफल हो सकेंगे।

ब्रह्माकुमारी संस्थान के कार्यकारी सचिव एवं शिक्षाविद सेवा प्रभाग के अध्यक्ष ब्रह्माकुमार मृत्युजंय भाई ने कहा कि नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों से सम्पन्न समाज बनाने में शिक्षकों की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। वर्तमान समय शिक्षा के क्षेत्र में अनेक कुरीति आ गई है। शिक्षा एक व्यापार बन गया है। वास्तव में शिक्षा मनुष्य को सुसंस्कारित करने और उसके जीवन को श्रेष्ठ बनाने की विधि है। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था आध्यात्मिक शिक्षा देकर मनुष्यों को दैवीगुणों से सम्पन्न बनाने का कार्य कर रही है। परमात्मा खुद शिक्षक बनकर हम आत्माओं को मनुष्य से देवात्मा बनने का तरीका सीखा रहे हैं। कोई भी व्यक्ति यहाँ की शिक्षाओं को अपनाकर जीवन को श्रेष्ठ बना सकता है।

पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. केसरी लाल वर्मा ने कहा कि पूरा विश्व तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। रोजगार और वैश्विक परिस्थितियों में तीव्र गति से परिवर्तन आ रहा है। ऐसे समय पर जरूरत है कि शिक्षा को भी नये युग के अनुकूल तैयार करें। समय के साथ ज्ञान का अद्यतन होना और युगीन आवश्यकताओं के अनुरूप अपने को ढालना जरूरी है। भारत में प्राचीन और सनातन ज्ञान और विचार की परम्परा रही है। उसके आलोक में शिक्षा दी जाए और आधुनिक ज्ञान विज्ञान की भी शिक्षा दी जाए। देश में बहुत बड़ी संख्या उन युवाओं की हैं जो कि उच्च शिक्षा से वंचित हैं। यदि हम समाज और राष्ट्र को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो उन युवाओं को आगे लाना होगा ताकि वह उच्च शिक्षा प्राप्त कर कर सकें। हमारी शिक्षा स्व रोजगार देने वाली हो। ऐसी शिक्षा हो जो नैतिक और मानवीय गुण से सम्पन्न अच्छे नागरिक तैयार कर सकें। शिक्षा में नवाचार की जरूरत है।

वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी शीलू दीदी ने कहा कि वर्तमान शिक्षाप्रणाली में बहुत सुधार की जरूरत है। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए कि वह हमें व्यसनों मुक्ति दिलाए। हमें कष्टों और दुर्गुणों से छुटकारा दिलाए एवं भाई-चारा और सद्गुणों की शिक्षा दे। सिर्फ अक्षर ज्ञान देकर बच्चों का उत्थान नहीं कर सकते हैं। शिक्षकों का जीवन भी प्रेरणादायक होना चाहिए। जीवन में बदलाव आध्यात्मिकता को अपनाने से आएगी। बच्चों को भी बचपन से ही आध्यात्मिक शिक्षा देने की जरूरत है।

ब्रह्माकुमारी संस्थान की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी ने कहा कि जीवन में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा ने देश को अच्छे इन्जीनियर, डॉक्टर और वकील दिए हैं लेकिन वर्तमान शिक्षा ने अच्छे इन्सान नहीं बनाए। इस समय समाज में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की गिरावट चिन्तनीय है। बच्चों को आज आध्यात्मिक शिक्षा की बहुत अधिक जरूरत है। आध्यात्मिकता मनुष्य को सशक्त बनाती है।

इस अवसर पर रायपुर के स्थानीय गायक स्वप्निल कुशतर्पण एवं कु. शारदा नाथ ने सुमधुर गीत प्रस्तुत कर भावविभोर कर दिया। बाद में कु. परिणीता और कु. पद्मिनी ने सुन्दर नृत्य प्रस्तुत कर मनोरंजन किया। वेबीनार का कुशल संचालन ब्रह्माकुमारी श्वेता दीदी ने किया।

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