Minister of State for Education praised the Education Wing of Brahma Kumaris for its exemplary contribution to nation-building

New Delhi:  Minister of State for External Affairs and Education, Dr. Raj Kumar Ranjan Singh addressed the Brahma Kumaris Education Wing Conference on “Spiritual Education for True Freedom” at Talkatora Indoor Stadium.

BK Jayanti, Additional Chief of Brahma Kumaris, BK Shivani, Renowned Speaker,  Hon’ble Raj Kumar Ranjan Singh, MoS for Education & External Affairs, Govt. Of India, BK Mruthyunjaya, Chairperson of Education Wing,  BK Shukla – Director of Brahma KumarisHari Nagar Subzone & ORC, BK Asha, Director of Om Shanti Retreat Center, Prof. Dr. M. Afshar Alam, Vice Chancellor, Jamia Hamdard University Prof. Ramesh K. Goyal, Vice Chancellor, Delhi Pharmaceutical Science & Research University, Dr. Manroop Singh Meena, Pro Vice Chancellor, IGNOU, Mr. Surendra Tripathi, IAS (Retd.), Director General, Indian Institute of Public Administration inaugurated the program with candle lighting ceremony,

While addressing, Education Minister Dr. Raj Kumar Ranjan Singh emphasized the pivotal role of parents & teachers in building a strong foundation for the nation. He also said that building an awakened conscious society is a continuous journey for any country.

He also highlighted the National Education Policy 2020 as one of the wheels for the vision of our nation, which will be instrumental in realizing the dream of Golden Bharat. He lauded India’s ancient education system, the committed Teachers/Gurus, and the rich culture in the fields of Science, Ayurveda, Astrophysics & Music, etc. Further, he urged all to take responsibility for transmitting this knowledge to coming generations.

Honorable Minister also praised the Education Wing of Brahma Kumaris for its exemplary contribution to nation-building by conducting various programs regularly at schools, colleges & universities level followed by seminars & conferences at the state as well as national levels.

News in Hindi:

शिक्षकों का आध्यात्मिक सशक्तिकरण से स्टूडेंट्स और समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव”-  राजकुमार रंजन

चेतना को बलशाली और निर्भीक बनाता है आध्यात्मिक ज्ञान और ध्यान”-  ब्र0कु0आशा

अध्यात्मिक शिक्षा कोई विकल्प नहीं अपितु वर्तमान समय की मांग है”-  बी के शिवानी

नई दिल्ली आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा शिक्षकों एवं शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों हेतु “आध्यात्मिक शिक्षा से सच्ची स्वतंत्रता की ओर” विषय पर एक दिवसीय सम्मेलन आज आयोजित हुआ I स्थानीय तालकटोरा स्टेडियम आयोजित इस सम्मलेन में लगभग 3000 लोगों ने भाग लिया।

दीप प्रज्वलित कर मुख्य अतिथि केन्द्रीय शिक्षा एवं विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि स्वर्णिम भारत की संरचना का आधार आंतरिक बुराईयों की समाप्ति तथा आध्यात्मिक जागृति है। ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा दी जा रही आध्यात्मिक मूल्यनिष्ठ शिक्षा अनुकरणीय है।

उन्होंने कहा कि शिक्षकों का आध्यात्मिक सशक्तिकरण ही विद्यार्थियों तथा समाज में सकारात्मक  परिवर्तन लायेगा। मूल्यनिष्ठ शिक्षा व राजयोग से युवाओं का जीवन नशामुक्त होगा। उन्होंने आगे कहा कि ब्रह्माकुमारियों द्वारा सामाजिक बुराईयों का अंत, श्रेष्ठ एवं सुसंस्कृत समाज का निर्माण संभव है।

इस अवसर पर सम्मानीय अतिथि दिल्ली फार्मास्यूटिकल साइंस एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी के वी सी प्रो0 रमेश के गोयल ने कहा कि मानव मन और तन का उपचार करने में आध्यात्मिकता का महत्व औषधि से अधिक है, जो कि अनेक स्वास्थ्य जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

इस अवसर पर सम्माननीय अतिथि के रूप में भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के महानिदेशक भ्राता सुरेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी का विश्वास एवं निश्चय कर्मयोगी बनाने का है, जो ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा दी जा रही आध्यात्मिक शिक्षा से संभव है।

सुप्रसिद्ध प्रेरणादायी वक्ता बी के शिवानी ने अपने प्रेरणादायी वचनों में बताया कि महत्व ऊर्जा का है जो हम अपने विचारों से निर्माण करते हैं। विचारों को श्रेष्ठ, सकारात्मक बनाने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान/ शिक्षा चाहिए। वर्तमान समय शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अध्यात्मिक शिक्षा विकल्प नहीं अपितु प्राथमिकता है I आध्यात्मिक ज्ञान एक संस्कार है, संस्कृति है, जिससे संसार बनता है। मन से विचार पैदा होते हैं। विचार निम्न, नकारात्मक हों तो शरीर पर उसका प्रतिकूल  प्रभाव पड़ता है। तनाव से हृदयाघात साधारण सी बात हो गई है। अभी ही समय है जब हम स्वयं का ध्यान रखें और उसके लिए आध्यात्मिक ज्ञान और ध्यान (राजयोग) का अभ्यास करें। आध्यात्मिक ज्ञान आत्मा का भोजन है जिससे शांति, प्रेम, पवित्रता, शक्ति और आनंद की प्राप्ति होती है। प्रातः उठकर तथा सोने से पूर्व यह भोजन अवश्य लेना है। आध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश भारत को विश्व गुरू बनायेगा।

ब्रह्माकुमारी संस्था की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बी के जयन्ती ने अपने आर्शिवचन में कहा कि शिक्षा जीवन की नींव है। ब्रह्मा बाबा जो संस्थापक थे ईश्वरीय विश्व विद्यालय के, उन्होंने आध्यात्मिक शिक्षा एवं नारी सशक्तिकरण को आधार बनाया। लैंगिक समानता के बिना भारत को पुनः सोने की चिड़िया नहीं बनाया जा सकता। स्वयं की असली स्वरुप, दिव्य गुण एवं आंतरिक शक्तियों को अनुभव करके ही हम नकारात्मकता से मुक्त हो सकते हैं।

ब्रह्माकुमारीज़ के शिक्षा प्रभाग के अध्यक्ष राजयोगी डॉ बी के मृत्युंजय ने सम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानव चेतना में आध्यात्मिक शिक्षा एवं शोध द्वारा आंतरिक समभाव तथा सत्य समझ पैदा होती है I उन्होंने आगे कहा कि दिव्य संस्कार बनाने का तथा तन – मन -धन को निरोगी बनाने का अद्भुत औषधि समान यह ईश्वरीय ज्ञान एवं राजयोग का अभ्यास है।

मुख्य वक्ता के रूप में ब्रह्माकुमारी संस्था के ओमशान्ति रिट्रीट सेन्टर की निदेशिका राजयोगिनी बी के आशा ने कहा कि हमारी चेतना को बलशाली और निर्भीक बनाने का साधन है आध्यात्मिकता। आजकल एजुकेशन का अर्थ केवल आर्थिक स्वतंत्रता तक सीमित रह गया है। जबकि एजुकेशन का अर्थ अंदर जो सुसुप्त है उसको विकसित करना है। सुखदाई कर्म का ज्ञान हमें आध्यात्मिकता से ही मिल सकता है, जिससे हमारा आचार विचार व्यवहार बदल जाए। मूल्य सिखाये नही जाते ग्रहण किये जाते हैं। अधिक महत्वपूर्ण है कि हम क्या करते हैं, न कि क्या बोलते हैं। आध्यात्मिक शिक्षा से ही आपका जीवन स्वतंत्र एवं सुख शान्ति सम्पन्न होगा।

इस सम्मलेन की मुख्य संयोजिका राजयोगिनी बी के शुक्ला ने आध्यात्मिक शिक्षा को वर्तमान शिक्षा प्रणाली में शामिल करने की बात पर जोड़ दिया। उन्होंने बताया कि आध्यत्मिक ज्ञान व राजयोग ध्यान के नियमित अभ्यास से स्टूडेंट्स, टीचर्स एवं नागरिकों में एकाग्रता, मनोबल तथा आत्म बल में वृधि होगी, जिससे समाज शक्तिशाली व समृधिशाली होगी ।

इस अवसर पर माउंट आबू से आई ब्रह्माकुमारी शिविका बहन, मुख्यालय संयोजिका शिक्षा प्रभाग ने सम्मेलन की गतिविधियों पर प्रकाश डाला तथा ब्रह्माकुमारीज़ के शिक्षा प्रभाग जयपुर के बी के मुकेश ने राजयोग चिंतन प्रयोगशाला के बारे में अवगत करायाI स्कूल के बच्चो के द्वारा मूल्यनिष्ठ शिक्षा केन्द्रित एक ह्रदयस्पर्शी सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।

इस सम्मेलन का सायं कालीन सत्र को माउंट आबू से पधारे राजयोगी बीके सूरज व ब्रह्मा कुमारी गीता ने सम्बोधित किया। उन्होंने स्वमान की ज्ञान और राजयोग ध्यान के अभ्यास द्वारा समस्याओं का समाधान  की ओर लोगों को प्रेरित किया और मेडिटेशन द्वारा आंतरिक शांती, शक्ति व खुशी का अनुभूति कराई।

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