‘Ghar Bane Mandir’ Program By Brahma Kumaris Gwalior

Gwalior( Madhya Pradesh ): The Youth Wing of RERF,  in collaboration with Brahma Kumaris Gwalior , held a program under the theme ‘Spiritual development For Mercy and Compassion- Turning Homes to Temples‘. This program was held on the second day of the four day meditation camp at Uphar Bhawan, Madhoganj. More than 500 people participated in this program.

BK Geeta from Bhinmal,  BK Adarsh, Incharge of Brahma Kumaris in Gwalior,  BK Jyoti, BK Prahlad,  Jhanvi Rohira, Senior Coordinator,  JCI, Asha Singh, Social Worker,  were present on this occasion.

BK Adarsh, while addressing this program said that it is the woman who binds the family,  be it the mother or the daughter in law. When both of them are not cordial, home becomes a brick and mortar place. Today, there are nuclear families and children also don’t stay with their parents.  We need to bring back our ancient Indian values and make our homes into temples.

BK Geeta from Bhinmal said that home should be like a beautiful temple inhabited by Gods. Life has both nectar and poison.  One needs to swallow the poison to reach the nectar. Woman is the Goddess Laxmi, giver of wealth, of the house.  For purifying our mind, we need to connect with God.

Mothers and Daughter in laws were invited to this program.  Explaining the depth of their relationship,  they were asked to felicitate each other. Everyone pledged to make their homes into temples.

Jhanvi Rohira, Special Guest,  said that mothers and daughters in law, need to improve their mindset.  Coming here felt like visiting a temple.

Asha Singh, Social Worker,  also expressed her good wishes.

News in Hindi:

आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर दया एवं करुणा के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण के “अंतर्गत “घर बनें मंदिर” विषय पर कार्यक्रम आयोजित –

ग्वालियर: ब्रह्माकुमारीज़ के युवा प्रभाग के द्वारा आयोजित 4 दिवसीय मैडिटेशन शिविर के द्वितीय दिवस का कार्यक्रम स्थानीय सेवाकेंद्र प्रभु उपहार भवन माधौगंज में सम्पन्न हुआ । लगभग 500 से भी अधिक भाई बहनों इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे |

इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से बी.के. गीता दीदीजी  (भीनमाल), ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर ग्वालियर की मुख्य इंचार्ज बी.के.आदर्श दीदीजी, बी.के.ज्योति बहन, बी.के.प्रहलाद भाईजी, जान्हवी रोहिरा (Senior Coordinator JCI), आशा सिंह (समाज सेविका) उपस्थित रहे |

कार्यक्रम में बी के आदर्श दीदी जी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि परिवार को नारी ही संजोती है गृह लक्ष्मी के रूप में फिर चाहे सास हो या बहू । लेकिन जब दोनों में सामंजस्य नही होता तो वही घर मंदिर की जगह केवल ईंट पत्थर का मकान रह जाता है । जहाँ  सुकून मिलना चाहिए वहीं से विरक्ति होने लगती है और घर टूटने लगते हैं । लोग अब संयुक्त परिवार की जगह एकल परिवार लेते जा रहे है और यह क्रम यहीं नहीं रुकता बच्चे और माता पिता भी एकाकी जीवन जी रहे है अतः हमें अपनी उसी भारतीय परंपरा में आना होगा घर को फिर से मंदिर जैसा बनाना होगा।

राजस्थान  के  भीनमाल  से  आयी  हुई   बी. के .गीता  दीदी जी ने घर की बहुत सुंदर व्यख्या करते हुए कहा कि घर वह स्थान है जहाँ देवी देवता रहते हैं और उस स्थान को मंदिर कहते हैं। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जिस तरह सर समुद्र मंथन के बाद बहुमूल्य वस्तुओं के साथ विष और अमृत निकला था । उसी प्रकार जीवन भी समुद्र मंथन की तरह है जिसमे विष अमृत दोनों ही है । विष रूपी कई जहरीली बातों को हमे पचाना पड़ता है तब जीवन मे अमृत की प्राप्ती होती है और जीवन सुखमय होता है । घर की लक्ष्मी नारी है उसका लक्ष्य है घर को सुखमय बनाना उसका प्रतीक है महा लक्ष्मी पूजा । हम दीपावली पर धन लक्ष्मी की पूजा करते हैं यह नारी की समृद्धि का प्रतीक है।

हम लक्ष्मी जैसा कैसे बने उसके लिये अपने मन की तार को परमात्मा से जोड़ना पड़ेगा ।

आज के कार्यक्रम मे सास और बहुओं को बुला कर उन्हें उनका महत्व समझा कर बहुओं को सास के द्वारा चुनरी उड़ा कर एवं उनकी आरती उतारी गई ।और एक दूसरे से गले मिली मन ही मन एक दूसरे के लिए शुभ भावना के साथ रहने की प्रतिज्ञा की। बहुत ही सुंदर दृश्य था सास बहू दोनो की आँखों से अश्रु की धारा बह रही थी। गीता दीदी ने अपने वक्तव्य से माहौल बदल दिया सभी भावुक हो गये । और अपने घर को मंदिर बनाने का संकल्प लिया ।

विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारी समाज सेवी जान्हवी रोहिरा ने शुभ कामनाएं देते हुए कहा कि आज सास को अपने दृष्टिकोण को बदलने की बहू को अपनी बेटी की तरह समझे ताकि वह सुचारू रूप से चल सके । की आज यहाँ आकर मुझे ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे की में साक्षात् किसी मंदिर में आ गयी हूँ | आज हम सुनते तो हैं की घर को मंदिर बनाएं, घर में आपस में मन मुटाव ना रहे , प्रेम से रहे, घर का वातावरण सकारात्मक हो लेकिन ये कैसे करना है इसकी विधि किसी को नहीं पता है परन्तु आज यहाँ आकर मुझे यह  देखने को भी मिला और सीखने को भी मिला |

आगे आशा सिंह ने अपने शुभ भावनायें व्यक्त करते हुये कहा कि जब हर घर मंदिर बनेगा तभी एक सुंदर समाज का निर्माण होगा | आज घर को मंदिर बनाना अति आवश्यक है | इसकी शुरुवात हमे स्वयं के घर से करनी चाहिए |

कार्यक्रम के अंत में बी.के.गीता दीदीजी ने सभी को मैडिटेशन कराया जिससे सभी को गहन शांति की अनुभूति हुई |

तत्पश्चात कार्यक्रम का कुशल संचालन बी.के.ज्योति बहन के द्वारा किया गया |

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