Experience of Defeating Coronavirus with Rajayoga Meditation

Sagar ( Madhya Pradesh ): The spiritual method of Rajayoga Meditation,  taught by the Brahma Kumaris, was used by BK Pushpendra, to become free of Coronavirus.  BK Pushpendra, journalist and writer from Sagar in Madhya Pradesh, was diagnosed Covid positive.  Using his faith and regular practice of Rajayoga as a tool against his initial shock, he not only won his battle against the virus, but motivated other patients as well.

While recounting his experience, BK Pushpendra said that regular breathing exercises in the hospital, coupled with daily Rajayoga Meditation worked in his favor.  Other patients also attested to the fact that regular meditation helped them keep stress at bay. He feels that remaining positive in such trying times is a proof of a strong mind. Giving others a tool of well being, in the form of Rajyoga Meditation at a difficult time, is also a big service. Within 10 days, he was back home, having won his battle against Corona virus.  He thanked the Supreme Soul wholeheartedly for this experience.

News in Hindi:

🧘‍♂️ *राजयोग का कमाल*🧘‍♂️
🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰
*हाल ही में कोरोना से जंग जीतकर लौटे बीके पुष्पेन्द्र, पत्रकार व लेखक (सागर, मप्र) का अनुभव… उन्हीं के शब्दों में* ✌️🧘‍♂️

*🧘‍♂️योग-व्यायाम और कोरोना वारियर्स का प्रेमपूर्ण व्यवहार….*
कम्प्यूटर की करप्ट या डंप फाइल समय-समय पर डिलीट नहीं की जाएं तो एक समय बाद हेंग होने लगता है। कई बार वायरस के अटैक से सॉफ्टवेयर तक खराब हो जाता है। यही स्थिति मानव मस्तिष्क की भी है। जब हम किसी विशेष विचार, घटना, परिस्थिति, संवाद, दृश्य, सूचना-समाचार या निजी जीवन के कड़वे अनुभव को बार-बार याद कर उनकी चर्चा या मंथन करते हैं तो वह सर्च हिस्ट्री में सेव हो जाते हैं। मस्तिष्क में यदि नकारात्मक, भय, डर, चिंता, दु:ख-दर्द, निराशा के विचार भरे पड़े हैं तो स्वाभाविक रूप से नकारात्मकता या निराशा का भाव बना रहता है। जब लंबे समय तक यही स्थिति रहती है तो मन कमजोर हो जाता है, हम थोड़ी सी परिस्थिति में घबरा जाते हैं। ऐसे समय में यदि किसी व्यक्ति से कहा जाए कि आप हिम्मत रखें, सकारात्मक चिंतन करें और मन को कमजोर नहीं होने दें तो चाहकर भी वह ऐसा नहीं कर पाता है, क्योंकि उसे लंबे काल से कमजोर मन के साथ भय, चिंता, तनाव और डर में जीने की आदत पड़ चुकी है। आज जो किसी विशेष कला में पारंगत हैं तो उसके पीछे उसका लंबे काल का परिश्रम, त्याग-तपस्या है। इसी तरह यदि रोजाना की दिनचर्या में सद्साहित्य का अध्ययन, मनन-चिंतन, पठन-पाठन, उम्मीद, आशा, विश्वास, उमंग-उत्साह के विचारों को शामिल करेंगे तो समय आने पर हमें इनका फायदा मिल सकेगा।
आज कोरोना वायरस के साथ भी कुछ यही स्थिति बनी है। हम पिछले पांच माह से इतने ज्यादा समाचार देख, सुन और पढ़ चुके हैं कि मस्तिष्क में नकारात्मक फाइलों का अंबार लग गया है। जैसे ही मन के धरातल पर *कोरोना* शब्द आता है तो उससे जुड़ी सारी सूचना की फाइलें खुलने लगती हैं। ये स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब वहीं कोरोना पॉजिटिव होने पर इससे जुड़ी फाइलें एक साथ खुलने से मस्तिष्क भी हेंग (तनाव, डर, चिंता) होने लगता है। एक तो हम पहले से पॉजिटिव हैं और शरीर को स्वस्थ होने के लिए पहले से ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा, रोग प्रतिरोधक क्षमता की जरूरत है। इसके लिए मस्तिष्क को बहुत ज्यादा ऊर्जा चाहिए। ऊपर से डेड फाइलों का अंबार होने से व्यक्ति तनाव में चला जाता है। एक कोरोना पॉजिटिव मरीज को इलाज के साथ-साथ मानसिक सबल सबसे ज्यादा जरूरी है। कहावत भी है मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।

*नियमित योग- व्यायाम से मिली मदद*
हॉस्पिटल में सभी साथियों ने नियमित खुली हवा में व्यायाम किया। इसका फायदा यह हुआ कि शरीर पर रोग हावी नहीं हो पाया। भूख लगने से अच्छे से भोजन भी कर सके। इसके अलावा ऊं ध्वन, अनुलोम-विलोम और कपालभाति। ऊं ध्वनि करने से हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं और खासकर पॉजिटिव व्यक्ति के लिए यह संजीवनी बूटी के समान होती है। साथ ही साथ नियमित राजयोग मेडिटेशन किया। कई मरीजों का अनुभव भी रहा कि नियमित मेडिटेशन करने से उनकी चिंता, फिकर दूर हो गई। मन को बहुत सुकून मिला।

*माथे पर पसीना और चेहरे पर मुस्कान*
कहते हैं प्रेम के आगे पत्थर भी पारस हो जाता है, जहां आपको हर पल जान का खतरा हो, ऐसे माहौल के बीच खुश रखते हुए संक्रमित मरीजों से प्रेमपूर्ण व्यवहार करना मन की उच्च स्थिति का परिचायक है। इतना ही नहीं उन्हें खुश रहने के मंत्र देने के साथ हौसला आफजाई कर मन-मस्तिष्क से कोरोना का भय दूर करना भी एक बहुत बड़ी सेवा है। भीषण गर्मी के बीच माथे पर बहता पसीना और चेहरे पर मुस्कान लिए कोरोना वारियर्स की जितनी सराहना की जाए कम है। हॉस्पिटल में दस दिन के दौरान इन वारियर्स के सद्व्यवहार, प्रेमपूर्ण व्यवहार ने बहुत प्रभावित किया। हॉस्पिटल में बिताए दस दिन बहुत ही यादगार रहे। जिन साथियों से ऑफिस में सिर्फ मेल-मुलाकात ही होती थी उन्हें करीब से जानने का मौका मिला। परमपिता परमात्मा के साथ और आशीर्वाद से दसवें दिन सभी स्वस्थ होकर हॉस्पिटल से विदा हुए।

Subscribe Newsletter