Brahma Kumaris Celebrate Shiv Jayanti at Pandav Bhawan

Pandav Bhawan (Mount Abu): On the auspicious occasion of the 83rd Shiv Jayanti Festival, a Flag-hoisting ceremony took place with Brahma Kumaris participating from different parts of the world at the Head Quarters of the Brahma Kumaris, Pandav Bhawan and Om Shanti Bhawan (Universal Peace Hall) in Mount Abu.  

Joint Chief Administrator of the Brahma Kumaris, Dadi Ratan Mohini; Program Co-ordinator and National Co-ordinator of the Sports WingBK Shashi; Director of Gyansarovar Academy, BK Dr. Nirmala; Director of Brahma Kumaris in Europe and Middle East BK Jayanti and other senior Brahma Kumars and Kumaris hoisted the flag, and gave blessings to everyone by sharing the Godly message of spreading peace, purity and love to the whole world.

In Hindi:

सत्यम शिवम सुंदरम का अनुसरण करने से संभव हैं जन कल्याण  
पाण्डव भवन में शिवरात्रि कार्यक्रम
 
माउंट आबू, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की सह मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कहा कि ज्ञान के अभाव में मनुष्य ईश्वरीय वरदानों से वंचित रहता है। अज्ञान अंधकार के कारण आत्मा विकर्म करने के बाद दु:ख, अशान्ति की अनुभूति करती है। ऐसी तनावजन्य जिंदगी को सुखमय बनाने के लिए नियमित रूप से सत्यम् शिवम् सुन्दम् शिव परमात्मा के सत्य ज्ञान का अनुसरण करना चाहिए। देह के तल से ऊपर उठकर आत्मचिंतन करने से परमात्मा का अनुभव किया जा सकता है। वे मंगलवार को शिवरात्रि महोत्सव पखवाडा के अंतर्गत ब्रह्माकुमारी संगठन के मुख्यालय पाण्डव भवन परिसर में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहीं थीं। 
 
संगठन के ज्ञान सरोवर अकादमी निदेशिका राजयोगिनी डॉ. निर्मला ने कहा कि परमपिता शिव परमात्मा के साथ संबंध जोडऩे से ही आत्मा मुक्ति व जीवनमुक्ति का अनुभव कर सकती है। जीवन में असफलता का एकमात्र कारण अज्ञान अंधकार है। उन्होंने कहा कि सत्य ज्ञान व ईश्वर का ध्यान ही आत्मा का सशक्तिकरण करता है। अज्ञानता की मैल आने से आत्मा पतित बनती है, आत्मा स्वयं के मूल्यों से गिरकर श्रेष्ठ कर्मों में प्रवृत होने की शक्ति खो देती है।
 
खेल प्रभाग की राट्रीय उपाध्यक्ष राजयोगिनी शशि प्रभा दीदी ने कहा कि जितना ज्यादा मन, बुद्धि को आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण रखेंगे उतना ही जीवन में आने वाली समस्याओं को खेल की तरह पार कर सकते हैं। आत्मा में अथाह शक्तियों का खजाना है, आत्मजागृति के लिए राजयोग का अभ्यास करना चाहिए। 
 
लंदन से आई राजयोगिनी जयंति बहन ने कहा कि हर मनुष्य के अंदर आध्यात्मिकता का प्रकाश होता है। ईश्वर से संबंध जोडऩे के बाद ही उस प्रकाश को प्रज्जवलित किया जा सकता है। जर्मनी से आई सुदेश बहन ने कहा कि यदि मनुष्य अपने मूल संस्कारों से परिचित हो जाए तो जीवन में स्थाई सुख, शान्ति व खुशी की अनुभूति स्वत: ही होती है। न्यूजिलैंड से आई बी. के. भावना बहन ने कहा कि शिवरात्रि का वास्तविक अर्थ समझने की जरूरत है। परमात्मा से मांगने की बजाए उनसे अधिकार प्राप्त करने की मानसिकता रखनी चाहिए। 
 
शिक्षा प्रभाग उपाध्यक्ष बीके मृत्युंजय ने कहा कि अज्ञान तिमिर को समाप्त करने से ही समस्याओं का समाधान होगा। इस मौके पर शांतिवन मुख्य अभियंता बी. के. भरत, ज्ञानामृत मासिक पत्रिका मुख्य संपादक बी.के. आत्मप्रकाश, ग्लोबल अस्पताल निदेशक डां. प्रताप मिढ्ढा, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बी.के. शीलू, बी. के. मोहन सिंहल, जापान से आई बीके रजनी, अमेरीका से आई डां. कला बहन आदि ने भी विचार व्यक्त किए।

 

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