Shri Krishna Janmashtami celebrated with great splendor in Kadma

Kadma ( Haryana ): Shri Krishna Janmashtami was celebrated with great splendor by Brahma Kumaris Kadma by arranging a beautiful tableau of various forms of Shri Krishna and cultural performances. The program started with candle lighting by various dignitaries of the area.
BK Vasudha said Bharat has to once again become a Golden Sparrow, so each one has to adopt divinity and spirituality for Shri Krishna to come again in the world.
News in Hindi:
कादमा (हरियाणा) :मानवीय मूल्यों को जीवन में धारण कर  बन सकते हैं श्री कृष्ण के समान ब्रह्माकुमारीज संस्था में दी जाने वाली शिक्षा से मानव बनता है देवतुल्य यह उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की कदमा शाखा में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर आयोजित झांकी व सांस्कृतिक कार्यक्रम में समाजसेवी कप्तान रामअवतार थालोर ने व्यक्त किए।
कार्यक्रम का शुभारंभ समाजसेवी कप्तान रामअवतार थालौर, ब्रह्माकुमारी वसुधा बहन, ज्योति बहन, पूर्व प्राचार्य सुरेंद्र पाल, सुबे स्वामी ने श्री कृष्ण राधा बने बच्चों के साथ दीप प्रज्वलन व केक काटकर किया।
ब्रह्माकुमारीज आश्रम कादमा में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण के विभिन्न रूपों को झांकी के माध्यम से दर्शाया गया जिसमें श्री कृष्ण अर्जुन संवाद राधा कृष्ण गोपियों के साथ नृत्य ने उपस्थित जनों का मन मोह लिया इस अवसर पर सेवा केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी वसुधा बहन ने कहा कि आध्यात्मिक मूल्यों को जीवन में धारण कर  आहार, व्यवहार, विचार का शुद्धीकरण से  श्री कृष्ण समान 16 कला संपूर्ण बनने के संकल्प के साथ जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाए तभी भारत देश पुनः सोने की चिड़िया कहला सकता है।  उन्होंने  कहा कि आज मानव अनेक प्रकार के जाति धर्म रंगभेद मैं फस दुखी अशांत है जिसके कारण सामाजिक परिस्थितियां बढ़ती जा रही है और समाज में नैतिकता का पतन हो रहा है इसलिए हमें आवश्यकता है श्री कृष्ण समान दिव्य गुण शक्तियां धारण करने की क्योंकि तभी हम समाज को नई दिशा व दशा प्रदान कर सकते हैं।
 ब्रह्माकुमारी वसुधा बहन ने कहा की जब तक दिव्य गुणों की खुशबू से नर नारी का मन मंदिर नहीं बनेगा तब तक श्री कृष्ण इस धरा पर कैसे आ सकते हैं इसलिए अगर हम सचमुच श्री कृष्ण को देखना चाहते हैं उनके साथ रास करना चाहते हैं तो हमें स्वयं में झांकना होगा अध्यात्म को अपनाना होगा।

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