Program on “Emotional Fitness” by BK Shivani in Chandigarh

Chandigarh ( Punjab ): Honorable Justice Mrs. Daya Chaudhary, Punjab and Haryana High Court; Honorable Justice Mr. Arun Palli, Punjab and Haryana High Court; Honorable Justice Mr. Anil Khetrapal, Punjab and Haryana High Court; Sh. Manoj Parida, IAS Adviser to the Administrator, Chandigarh; Sh. J.M. Balamurugan, IAS Principal Secretary to the Governor, Punjab; Honorable Justice S.K. Aggarwal; Sh. S K Verma, IPS-DGP Punjab; and many more Judges, IAS Officers, Media Persons, Doctors, Police Officers, and Social Workers, etc., were part of the program organized on the topic “Emotional Fitness” by the Brahma Kumaris in Chandigarh.

BK Sister Shivani shared 5 points on the nature (sanskar) of the soul:  Every soul carries sanskars from the past births;  Every soul imbibes some sanskars from the family of the current birth;  Society also has an affect on the sanskars of the soul;  Strong will power can change the sanskars of the soul; and the soul’s original sanskars of love, truth, purity, bliss, etc., emerge with God’s knowledge.

BK Sister Shivani also shared some tips for enhancing emotional and mental health.  Food has an affect on the mind. To make the mind pure, eat a pure vegetarian diet. Water has an affect on the tone of the voice. Drink water in God’s remembrance.  Only take positive information throughout the day.  One hour before sleeping and 1 hour after waking up in the morning avoid the usage of electronic devices.  The mind should be at an elevated stage during this time. If someone has caused sorrow, we only have to send them love and good wishes and do not expect anything in return. Take praise and criticism in the same way. Don’t become affected by praise or criticism. Don’t cause loss in your fortune by causing sorrow to those who behave badly to you. Take blessings from God and send blessings filled with love to all souls.

News in Hindi: 
Emotional Fitness- भावनात्मक स्वास्थ्य
परमात्मा ज्ञान द्वारा सर्व के प्रति सद्भावना प्रेम व दुआयेंचण्डीगढ़
चण्डीगढ़ में ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा एक सार्वजनिक कार्यक्रम  Emotional Fitness आयोजित हुआ जिसमें विश्व विख्यात वक्ता राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी शिवानी बहिन ने उपस्थित जनसमूह को भावनात्मक स्वास्थ्य सुदृढ़ करने के बहुत ही सरल और प्रैक्टिकल सूत्र बताये ।भ्राता अमीर चन्द जी ने शिवानी बहिन को चण्डीगढ़ आने पर धन्यवाद किया और उनका स्वागत करते हुए कहा कि मनुष्य का जीवन परमात्मा की सबसे खूबसूरत कृति है और वह वस्तुतः सुन्दर बनती है सच्चाई के जीवन से, जीवन मूल्य अपनी ज़िन्दगी में अपनाने व उतारने से । हाईकोर्ट की माननीय जज श्रीमति दया चैधरी जी ने शिवानी बहिन का फूलों के साथ अभिनन्दन किया ।शिवानी बहिन ने अपने विचार रखते हुए कहा कि मैडिटेशन यानि ध्यान अपने आत्मिक और वास्तविक स्वरूप में रहने का नाम है । यह तो 24 घण्टे की प्रक्रिया है जिसे हमें होशपूर्वक करना चाहिए। बहुत ही सरल शब्दों में उन्हों ने बताया कि रोज़मर्रा में जब भी हम किसी से मिलते हैं हम कहते हैं “क्या हाल चाल है“ । वस्तुतः जैसा मन का हाल होता है वैसी ही व्यक्ति की चाल हो जाती है । हाल हमेषा खुशहाल और चाल हमेषा फरिष्तों जैसी होनी चाहिए । यह हर आत्मा की वास्तविकता होनी चाहिए लेकिन अगर हमारी मनःस्थिति परिस्थिति पर निर्भर है तो यह सम्भव नहीं होगा क्योंकि परिस्थिति कभी भी पूर्णतया हमारे मुताबक नहीं होगी । ज़िन्दगी की परिस्थिति मापदण्ड नहीं कि मेरी मनःस्थिति कैसी है वरन् मैं उस परिस्थिति में कैसी प्रतिक्रिया देता हूँ उस पर मेरी मनःस्थिति व मेरी ज़िन्दगी में मेरी खुशहाली निर्भर करेगी ।जैसे हम सबको अपने शारीरिक स्वास्थ्य की फिक्र रहती है उससे भी अधिक महत्वपूर्ण हमारा भावनात्मक व मानसिक स्वास्थ्य होना चाहिए ।  WHO  के अनुसार इस समय भारत विष्व में डिप्रैशन में नम्बर एक के स्थान पर है ।  हमारी मानसिक स्थिति दिन प्रतिदिन कमज़ोर होती जा रही है क्योंकि हमने अपनी मान्यता कुछ इस ढ़ंग से बना ली है कि दुःख, गुस्सा, चिन्ता आदि हमें अपने मूल संस्कार मालूम होते हैं । वास्तव में हम भूल गए हैं कि आत्मा का मूल स्वरूप प्रेम, पवित्रता, सत्य, शान्ति, प्रसन्नता व आनन्द है ।
हर माँ बाप अपने बच्चे से प्रेम करते हैं इसलिए कहते हैं कि हमें उसकी फिक्र है । यहाँ हमें समझना यह है कि अगर हम अपने बच्चे के प्रति फिक्र की भावना रखेंगे तो जिस ताकत की अपेक्षा वह अपने माता पिता से रखता है उसे वह प्राप्त न होगी बल्कि उसकी शक्ति और भी क्षीण हो जाएगी । इसलिए हमें फिक्र नहीं बच्चे की केयर करनी है ऐसा सकारात्मक भाव उत्पन्न करना है ।आज ज़िन्दगी में सब साधन होते हुए भी एक खालीपन महसूस होता है क्योंकि हमने अपनी खुषी दूसरों की प्रतिक्रिया पर आश्रित कर दी है । हमने अपने को दूसरों की प्रतिक्रिया का गुलाम बना दिया है । वह खुश तो हम खुश, वह नाराज़ तो हम नाराज़, और तो और हम इतना तक कहते हैं कि हमारी राषि ही खराब है या मैं तो अपने पिता पर गया हूँ । सबसे महत्वपूर्ण है कि औरों को कापी करके हमें कभी भी अपना संस्कार नहीं बनाना । मेरे मन का रिमोट मेरे पास ही होना चाहिए अर्थात् हमें भावनात्मक रूप ( Emotionally Independent ) से स्वतन्त्र बनना चाहिए । अगर हम दूसरों के संस्कार में उलझ जाते हैं तो हमारी आत्मिक उन्नति सम्भव नहीं ।उन्होंने आत्मा के संस्कारो के पाँच सूत्र बताए:
1. आत्मा अपने साथ पिछले जन्मों से संस्कार लेकर आती है ।
2. हर आत्मा को इस जीवन में कुछ संस्कार उसके परिवार से प्राप्त होते हैं ।
3 .पर्यावरण व समाज का प्रभाव भी आत्मा के संस्कारों पर पड़ता है ।
4 . विल पावर द्वारा आत्मा के बहुत से संस्कार बदले जा सकते हैं ।
5 .आत्मा के मूलभूत संस्कार जैसे प्रेम, सत्य, पवित्रता, आनन्द आदि परमात्म ज्ञान से उजागर होते हैं ।
शिवानी बहिन ने कुछ सूत्र भावनात्मक व मानसिक स्वास्थ्य सुदृढ़ करने के लिए भी दिए ।
1. अन्न का सर्वाधिक प्रभाव मन पर पड़ता है, सात्विक भोजन से मन शुद्ध होता है ।
2. पानी का सीधा प्रभाव वाणी पर पड़ता है । पानी का सेवन परमात्मा की याद में रहते हुए करना चाहिए।
3. रात को सोने से एक घण्टा पहले और सुबह उठने से एक घण्टे तक मन की स्थिति अच्छी होनी चाहिए । इस समय मोबाइल, अखबार इत्यादि का प्रयोग न करें।
4. दिन में हम जो भी देखते, सुनते, पढ़ते हैं उसकी सकारात्मकता पर ध्यान दें।
5. यदि किसी ने हमारा दिल दुखाया है तो हमें केवल उसे माफ़ी, प्रेम व दुआएं भेजनी हैं और बदले में हम उससे कुछ अपेक्षा न रखें।
6. निन्दा और स्तुति को एक समान लेना चाहिए।
7. दूसरों के व्यवहार से अपना भाग्य नहीं बिगाड़ना है।
8. परमात्मा से दुआयें लेकर अन्य आत्माओं को प्रेम सहित दुआयें भेजनी हैं।

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