MP Lok Sabha Inaugurates ‘New Beginning Of Art’ Program In Gurugram

Gurugram( Haryana): The Art and Culture Wing of RERF,  in collaboration with Brahma Kumaris called ‘Wave of Amrit Mahotsav- New Beginning For Art’. Hans Raj Hans, MP Lok Sabha, Padma Shree Awardee and Famous Singer, was the Chief Guest on this occasion.

Hans Raj Hans, Chief Guest,  while speaking on this occasion,  said that real music is one that connects you to God and feels like it is originating from God. Penance brings shine to Art. This body is one of the greatest gifts of God. We must do Supreme deeds that benefit humanity with it. Music focuses the mind and brings it near to God. He sang a beautiful devotional song for the audience.

Rajyogini BK Asha,  Director ORC,  said that the basic value of Art and Culture Wing is talent. Every Soul is an artist.  We must perform every deed as a work of art. Art is in reality a penance.  Using art as a gift of God ensures that it is used in the interests of society.

BK Satish, Coordinator of Art and Culture Wing from Mount Abu,  said that Bharat has been the center for arts in the world.  Our main aim is to once again establish the Golden art and cultural values of ancient India.

BK Pushpa, Incharge of Brahma Kumaris in Karol Bagh, held a short Rajyoga session.  An artist can ensure newness in his art through yoga. Yoga brings creative thoughts in our mind.

BK Sunaina said that ORC Gurgaon is working to preserve good human values for the past 20 years.  It’s spiritual vibrations automatically attract people.

Winners of various competitions held by the Art and Culture Wing were felicitated at this program.  Artists of various fields participated in big numbers in this event.  Vote of thanks was given by BK Anil. BK Bhavna and BK Rachna coordinated this program.

News in Hindi:

ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा अमृत महोत्सव की लहर,  कला की नवीन प्रहर कार्यक्रम का आयोजन

असली संगीत वो है जो मन के तार ईश्वर से जोड़ दे – हंसराज हंस

तपस्या से ही कला में निखार आता है

गुरूग्राम: संगीत वो है जो मन के तार ईश्वर से जोड़ दे। जिसको सुनते ही ऐसा लगे कि ये स्वयं परमात्मा के दर से आ रहा है। उक्त विचार भारतीय लोकसभा के माननीय सदस्य पद्मश्री हंसराज हंस ने ब्रह्माकुमारीज़ के कला एवं संस्कृति प्रभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये। गुरूग्राम स्थित ओम शान्ति रिट्रीट सेन्टर में ‘अमृत महोत्सव की लहर, कला की नवीन प्रहर’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि ये मानव शरीर परमात्मा की सबसे बड़ी देन है। इसके द्वारा हमें वो श्रेष्ठ कर्म करने हैं, जिनमें मानव जीवन का हित हो। उन्होंने कहा कि संगीत से मेरा जुड़ाव बचपन से ही रहा। संगीत एक ऐसी साधना है जो मन को एकाग्र कर ईश्वर के समीप ले आती है। साथ ही उन्होंने अपनी मधुर और सुरीली आवाज़ में एक बहुत सुन्दर भजन गाकर सभी को परमात्म स्नेह के रस में भिगो दिया।

इस अवसर पर अपने आशीर्वचन देते हुए ओ.आर.सी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने कहा कि कला एवं संस्कृति आत्मा के मूलभूत गुण हैं। हर आत्मा एक कलाकार है। उन्होंने कहा कि परमात्मा जोकि  परम कलाकार भी है, उसने हर आत्मा के अन्दर कोई न कोई कला अवश्य दी है। उन्होंने कहा कि हर कर्म को कला के रूप से करना ही सबसे बड़ा कलाकार होना है। कला वास्तव में एक तपस्या है। तपस्या से ही कला में निखार आता है। उन्होंने कहा कि कला को सदा परमात्मा की देन समझकर उपयोग करने से ही समाज का हित कर सकते हैं।

कला एवं संस्कृति प्रभाग के अध्यक्ष बी.के.दयाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि जब हम हर कर्म में परमात्मा को याद करते हैं तो वो हमारी मदद अवश्य करता है। उन्होंने कहा कि वास्तव में परमात्मा ही हमारा सच्चा मनमीत है। जब कोई सहारा नहीं होता तब हर व्यक्ति उसका ही सहारा अनुभव करता है। परमात्मा की मदद का अनुभव करने के लिए हमारा मन बहुत स्वच्छ और निर्मल होना चाहिए।

कला एवं संस्कृति प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजक बी.के.पूनम ने संस्था का परिचय देते हुए कहा कि कला के प्रति समर्पण भाव ही एक श्रेष्ठ कलाकार को जन्म देता है। उन्होंने कहा कि कला में मूल्यों का समावेश ही फिर से  हमारी सनातन दैवी संस्कृति की पुनर्स्थापना कर सकता है।

संस्था के मुख्यालय माउन्ट आबू से पधारे कला एवं संस्कृति प्रभाग के संयोजक बी.के.सतीश ने कहा कि भारत ही विश्व में कला एवं संस्कृति का सर्वश्रेष्ठ केन्द्र रहा है। लेकिन वर्तमान समय उस सनातन संस्कृति के केवल चिन्ह रह गये हैं। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य पुन: उस आदि सनातन दैवी संस्कृति की स्थापना करना है।

दिल्ली, करोलबाग सेवाकेन्द्र प्रभारी राजयोगिनी पुष्पा दीदी ने सभी को राजयोग के अभ्यास से शान्ति की गहन अनुभूति कराई। उन्होंने कहा कि योग से ही एक कलाकार अपनी कला में नवीनता ला सकता है। योग ऐसा माध्यम है जिससे हमारा मन श्रेष्ठ एवं रचनात्मक विचारों को जन्म देता है।

ओम शान्ति रिट्रीट सेन्टर के विषय में बोलते हुए बी.के.सुनैना ने बताया कि 30 एकड़ भूमि में फैला ये विशाल परिसर पिछले 20 वर्षों से मानव मूल्यों की पुनर्स्थापना का एक महान कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा एवं शान्ति की तरंगें स्वत: ही लोगों को आकर्षित करती हैं।

कार्यक्रम में कला एवं संस्कृति प्रभाग के द्वारा आयोजित अनेक प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में काफी संख्या में कलाकारों ने भाग लिया।

कार्यक्रम के अंत में बी.के.अनिल ने अपने शब्दों से सबका धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन बी.के.भावना एवं बी.के.रचना ने किया।

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