Chhatisgarh Brahma Kumaris Hold Webinar on “Coping with Uncertainties”

Chhattisgarh: The Brahma Kumaris of Chhattisgarh held an online Webinar with internationally renowned Motivational Speaker BK Sister Shivani on the topic “Coping with Uncertainties.”

BK Sister Shivani, while sharing her views, said that we are continuously hearing coronavirus news for the past two months. This has resulted in a lot of stress and anxiety.  We need to take care of our mind at this time, so as not to manifest some stress-induced disease.

The world is facing an unprecedented situation.  Some people think that fear and anxiety are normal.  A lot of negativity has increased amongst the people due to the coronavirus pandemic.  We must be cautious, but not fearful.

Just as we are saving ourselves from the virus, we must save our minds from the onslaught of negativity as well.  We must also give full support to our Corona Warriors.  We must be conscious of our role in the society at this difficult time.

Positive thinking must be practiced within ourselves.  We should spread vibrations of peace and health.  Every individual counts in making the sum total of our environment.

BK Sister Shivani further elaborated that our thoughts have great power. What we think, we manifest.  Therefore, we must think the best. Not even a single negative word should escape our lips. We must try to meditate in the morning and before retiring to bed at night.  We should learn to connect with the Supreme Soul and experience all powers within us. Food must also be cooked in remembrance of the Supreme Soul.

BK Kamla, Incharge of Brahma Kumaris in Indore, and BK Hemlata from Chhatisgarh also expressed their views. This Webinar was coordinated by BK Usha.

News in Hindi:

कोरोना वैश्विक महामारी के बीच सोशल मीडिया पर ऑनलाईन व्याख्यान

सारा दिन कोरोना की बातें देखते और सुनते हुए लोगों में भय और चिन्ता बढ़ी-
 -ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी

रायपुर, १४ जून: जीवन प्रबन्धन विशेषज्ञा ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी ने कहा कि पिछले दो माह से रोज हमें एक ही बात सुनने को मिल रही है। सारा दिन कोरोना की ही बात सुनते, पढ़ते और देखते मन में भय और चिन्ता व्याप्त बढ़ गई है। इस समय हमें अपने मन का ध्यान रखना होगा। अगर हमने मन का ध्यान नहीं रखा तो हम तनाव और अवसाद की एक और संक्रामक बिमारी पैदा कर रहे हैं। सावधानी रखें परन्तु अशान्त न हों।

ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी विशेष रूप से छत्तीसगढ़ वासियों के लिए सोशल मीडिया यू-ट््यूब पर ऑनलाईन आयोजित व्याख्यान में अनिश्चितता से मुकाबला (Coping with Uncertainty) विषय पर अपने विचार रख रही थीं।

उन्होंने आगे कहा कि इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि पूरी दुनिया में एक समान समस्या पैदा हुई है जिसके फलस्वरूप सभी एक ही चिन्ता से ग्रसित है। कई लोग सोचते हैं कि भय और चिन्ता होना सामान्य बात है। इस समय एक ही बात सुनने, पढऩे और देखने के कारण करोड़ों लोगों के मन में चिन्ता और भय पैदा हो गया है। वातावरण में निगेटिविटी बढ़ रही है।

जिस प्रकार हम स्वयं को वायरस से बचा रहे हैं। उसी प्रकार चिन्ता और भय के वातावरण से भी बचना है। विगत एक माह में देश में मानसिक तनाव और अवसाद बीस प्रतिशत बढ़ गया है। इसलिए अब हमें अच्छा और सकारात्मक सोचना है। अपने और परिवार के साथ ही कोरोना वारियर्स जो कि अपनी जान को जोखिम में डालकर लोगों की नि:स्वार्थ सेवा कर रहे हैं, उन सभी के लिए शुभ सोचना होगा। हमारे शरीर का ध्यान रखने के लिए सरकार और डॉक्टर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। हमें अपने आपसे पूछना है कि वर्तमान परिस्थितियों में समाज को हमारा योगदान क्या है? हम परिस्थितियों से प्रभावित न हों, बल्कि हम उसे बदलने में सक्षम बनेंं। कोरोना से पहले भी जीवन था, उसके बाद भी रहेगा लेकिन शायद यह जीवन जीने का तरीका बदल देगा?

हम घरों में रहकर सबके लिए शुभ सोंचें, अच्छा सोंचें। सकारात्मक वातावरण बनाने में हम अपना योगदान करें। इससे हम स्वयं तो निगेटिविटी से बचेंगे ही अन्य दुखी आत्माओं को भी शान्ति प्रदान कर सकेंगे। यह न सोचें कि मेरे एक से क्या होगा? समाज का एक-एक व्यक्ति महत्वपूर्ण है।

संकल्प से सृष्टि और संकल्प से सिद्घि की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे संकल्पों में बहुत ताकत होती है। हम जैसा सोचते हैं वैसा प्रैक्टिकल में होने लगता है। इसलिए अपने विचारों को श्रेष्ठ बनाना होगा। अब साधारण सोचने का समय नहीं है। हम सारे दिन में श्रेष्ठ विचार करें। हमें अपने शब्दों को बदलना होगा। एक भी निगेटिव शब्द हमारे मुख से न निकले। सुबह मेडिटेशन करें। सर्वशक्तिवान परमात्म से सम्बन्ध जोड़कर शक्ति प्राप्त करें। संकट के समय लोग आशीर्वाद मांगते हैं। कहते हैं मेरे लिए दुआ करो। अभी धरती पर संकट आया है इसलिए पूरी दुनिया के लिए प्रार्थना करने की आवश्यकता है। लोग बहुत दुख और दर्द में हैं। उनकी सहायता करें। अभी हमें लोगों की दुआएं प्राप्त करने का अवसर मिला है।

यदि भय और चिन्ता से बचना है तो इस समय मीडिया और सोशल मीडिया से दूरी बना लें। क्योंकि जो हम देखते, सुनते और पढ़ते हैं तो उसका सीधा प्रभाव मन पर पड़ता है। यदि दुनिया का हाल जानना चाहें तो पन्द्रह मिनट अखबारों की हेडलाइन्स देख लें। पूरा न पढ़ें। सुबह दिन की शुरूआत परमात्मा की शुक्रिया के साथ करें। जो भी कोरोना वारियर्स हैं उन सभी का शुक्रिया करें। स्वयं को शान्त स्वरूप आत्मा समझें। शक्ति स्वरूप आत्मा सोंचें। विचार करें कि मेरा शरीर स्वस्थ और सम्पूर्ण है। मैं निर्भय हूँ। मैं और मेरा परिवार ईश्वर की छत्रछाया में सुरक्षित हैं। परमात्मा की दुआएं और सुरक्षा मेरे साथ हैं। ऐसे-ऐसे अच्छे विचार करें। परमात्मा के साथ बातें करें। रात्रि को सोने से पहले भी मेडिटेशन करें। अच्छा हो कि रात को सारे दिन की बातों को डायरी में लिखकर हल्का हो जाएं। इससे नींद अच्छी आएगी।

उन्होंने कहा कि परमात्मा की याद रहकर भोजन बनाएं और खाएं तो भोजन प्रसाद बन जाएगा। मन्दिरों और गुरूद्वारों में भगवान की याद में भोजन बनाया जाता है तो उसको खाने से मन को सुकुन मिलता है।

इस अवसर पर इन्दौर जोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी और क्षेत्रीय समन्वयक ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने भी अपने विचार रखे। वेबीनार का संचालन ब्रह्माकुमारी उषा दीदी ने किया

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